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मिसाल है इमाम हुसैन की शहादत त्योहार

समस्तीपुर : मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है. इस माह की उनके लिए बहुत विशेषता और महत्ता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम हिजरी संवत का प्रथम मास है. पैगंबर मुहम्मद सइस्लाम से पहले भी इस महीने को काबिले एहतराम समझा जाता था. जिसे इस्लाम ने जारी रखते […]

समस्तीपुर : मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है. इस माह की उनके लिए बहुत विशेषता और महत्ता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम हिजरी संवत का प्रथम मास है. पैगंबर मुहम्मद सइस्लाम से पहले भी इस महीने को काबिले एहतराम समझा जाता था.

जिसे इस्लाम ने जारी रखते हुए इस महीने में जंग और झगड़े पर पाबंदी लगाई है. इसी हुरमत के कारण इसे मुहर्रम कहा जाता है. इसके बारे में कुरान अल्लाह का फरमान है.

यकीनन अल्लाह के यहां महीने की तादाद 12 हैं. यह उसी दिन से है जब आसमान और जमीन को पैदा किया गया. इसमें से चार हुरमत और अदब वाले महीने हैं यही दुरूस्त और सही दीन है. इस महीने में अपने पर जुल्म नहीं करने की बात कही गई है. इस संबंध में मो. जावेद ने फरमाया है कि साल का पहला महीना बरकत है.
मुहर्रम को मुहर्रमुल हराम इस लिए कहा जाता कि यह हुरमत वाला महीना है और उसके हुरमत की ताकीद के लिए मुहर्रम का नाम दिया गया है. अल्लाह ने कहा है कि हुरमत वाले महीनों में जुल्म नहीं करो क्योंकि इसमें गुनाह करना दूसरे महीनों से ज्यादा शदीद है. मोहर्रम का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जायेगा. गौरतलब हो कि इसी महीने करबला के मैदान पर हजरत हुसैन ने हक व दीन पर यजीद से लड़ाई किया था. लड़ाई के दौरान हजरत हुसैन के साथ बहुत सारे लोग शहीद हो गये थे.
हक की लड़ाई के दौरान शहीदों को याद किया जाता है. नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है. मुहर्रम एक महीना है जिसमें दस दिन इमाम हुसैन के शोक में मनाये जाते हैं. इसी महीने में पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब, मुस्तफा सल्लाहों अलैह व आलही वसल्लम ने पवित्र मक्का से पवित्र नगर मदीना में हिजरत किया था.
ताजिया मिलान आज
रोसड़ा. मुहर्रम पर्व को लेकर एक ओर जहां प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किये गये है. मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ हिन्दु भी इस पर्व मे शामिल होकर रोसड़ा मे एकता का एक बड़ा मिसाल कायम कर रहे हैं. तजिया मिलान के लिये सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. विभिन्न अखाड़ों से ताजिया निकाल कर पुर्वाभ्यास किया जा रहा है. शहर समेत करीब 6 जगहों के अखाड़े का मिलन पावर हाउस के निकट होता है,
जिसमे खासकर युवावर्ग शामिल होकर ताजिया मिलान करते है. भारी संख्या मे शहर के विभिन्न मागार्े से ताजिये का प्रदर्शन एवं विभिन्न तरह के करतब दिखाते हुये लोग गुजरते है. शहर के डगबर टोली,फकिरना मुहल्ला,चांद चौर,मब्बी,उदयपुर,गोविन्दपुर का ताजिया मिलान पावर हाउस के निकट किया जाता है. वहीं मिल्की,रहुॅआ मुरादपुर का मिलन मिल्की मे किया जाता है.
करबला की जंग की याद में खेला जाता है अखाड़ा
सरायरंजन . मुर्हरम की नौवीं तिथि पर मुसरीघरारी चौक पर विभिन्न अखाड़ों ने जमकर तलवार बाजी की . मैदाने करबला की जंग के याद में नौजवानों ने लाठी, तलवार, फरसा के करतब दिखाये. इस अवसर पर वि.एलौथ, कचहरी टोल, पेठियागाछी, चौसिमा आदि जगहों से आये आखाड़े शामिल थे. मौके पर एएसपी आमिर जावेद, डीएसपी तनवीर अहमद, एसडीओ केडी प्रज्जवल, बीडीओ अभिजीत चौधरी आदि मौजूद थे.

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