अब बच्चों को मक्का वाला खाना
समस्तीपुरः जिले के सरकारी स्कूल के बच्चों को अगले वर्ष से मक्का से तैयार भोजन (मिड डे मील) मिलेगा. यह पोषणयुक्त खाद्यान्न समस्तीपुर के राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से तैयार किया जायेगा. कृषि विभाग के इस प्रस्ताव पर शिक्षा विभाग ने सहमति जता दी है. फिलहाल इस योजना को कुपोषण आधारित राज्य के समस्तीपुर […]
समस्तीपुरः जिले के सरकारी स्कूल के बच्चों को अगले वर्ष से मक्का से तैयार भोजन (मिड डे मील) मिलेगा. यह पोषणयुक्त खाद्यान्न समस्तीपुर के राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से तैयार किया जायेगा. कृषि विभाग के इस प्रस्ताव पर शिक्षा विभाग ने सहमति जता दी है. फिलहाल इस योजना को कुपोषण आधारित राज्य के समस्तीपुर सहित बारह जिलों में पायलट बेसिस पर चालू किया जायेगा.
सफलता मिलने के बाद शेष जिलों में लागू कर दिया जायेगा. जिले के सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन 5 लाख छात्र छात्राओं को पका पकाया मिड डे मील उपलब्ध कराया जाता है. केंद्र प्रायोजित इस योजना पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. फिलहाल इस योजना के लिए अगले वित्तीय वर्ष से लगभग एक लाख मैट्रिक टन मक्का से तैयार पोषणयुक्त खाद्यान्न का उत्पादन समस्तीपुर के आरएयू परिसर में किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उत्पादित पोषण युक्त खाद्यान्न भारतीय खाद्य निगम को बेचा जायेगा और फिर राज्य खाद्य निगम के माध्यम से अधिप्राप्ति की जाएगी.
वर्तमान में जिले के 2500 सरकारी स्कूल के कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराया जाता है. शिक्षा विभाग ने एमडीएम के तहत लाभान्वित बच्चों के औसत में गड़बड़ी पाये जाने पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक के वेतन से वसूली करने का फैसला किया है. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने इस संबंध में जिला के मिड डे मील प्रभारियों को पत्र लिख कर कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
उन्होंने कहा है कि तीन माह के कार्य दिवसों के समतुल्य की राशि की वसूली की जाय, तथा कतिपय विद्यालय में निरीक्षण के दिन भौतिक उपस्थिति तथा पिछले एक सप्ताह में मिड डे मील योजना से लाभान्वित छात्र छात्रओं की औसत संख्या में अंतर पाया जाता है. मिड डे मील प्रभारी बीके लाल ने बताया कि निरीक्षण की तिथि को विद्यालय में बच्चों की भौतिक उपस्थिति तथा पिछले सात दिनों में पंजीनुसार मिड डे मील योजना से लाभान्वित बच्चों की संख्या के रूझान तथा औसत उपस्थिति में यदि दस प्रतिशत तक का अंतर पाया जाता है तो संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक से उक्त अंतर के लिए स्षष्टीकरण पूछा जाएगा.