अक्षर दौड़ में पीछे छूटीं महिलाएं

समस्तीपुरः निरक्षर महिलाओं को साक्षर करने की योजना पर जिले में ग्रहण लग गया है. चयनित महिलाएं केंद्र तक नहीं पहुंच रही है. वहीं उन्हें दिये गए कीट को बच्चों ने हासिल कर लिया है. दरअसल शहरी क्षेत्र की निरक्षर महिलाओं के लिए सरकार ने झुग्गी झोपड़ी अक्षर आंचल योजना चला रही है. जिसके तहत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2013 5:16 AM

समस्तीपुरः निरक्षर महिलाओं को साक्षर करने की योजना पर जिले में ग्रहण लग गया है. चयनित महिलाएं केंद्र तक नहीं पहुंच रही है. वहीं उन्हें दिये गए कीट को बच्चों ने हासिल कर लिया है. दरअसल शहरी क्षेत्र की निरक्षर महिलाओं के लिए सरकार ने झुग्गी झोपड़ी अक्षर आंचल योजना चला रही है. जिसके तहत झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली महिलाओं को साक्षर करना है.

प्रथम चरण में जिला मुख्यालय में स्थित झुग्गी झोपडी में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षर महिलाओं के लिये क्रियान्वित किया गया. इस योजना के तहत बुनियादी साक्षरता के साथ साथ असाक्षर महिलाओं के बच्चों को विद्यालय तक लाने के लिये विद्यालय चलो कार्यक्रम से भी जोडने की योजना है. इस योजना का संचालन 2 अक्तूबर से किया गया. जिले के विद्यालयों में 300 केंद्र बनाया है. प्रथम चरण में 6697 असाक्षर महिलाओं को साक्षर करने का लक्ष्य विभाग ने रखा है. लेकिन इन केंद्रों पर महिलाएं पहुंच ही नही रही है. साक्षरता केंद्रों की स्थिति पर गौर किया जाय तो महिलाएं शिक्षा के महत्व से कोसों दूर नजर आती है. इक्के दुक्के की संख्या में ये पढ़ने आती हैं. घर के दैनिक कार्यो में व्यस्त रहने वाली महिलाएं केंद्र नहीं पहुंचती हैं.

बच्चे कर रहे इस्तेमाल

निरक्षर महिलाओं को शिक्षित करने के लिए विभाग ने कीट उपलब्ध कराया था. इसमें कॉपी, कलम, पेंसिल, किताब, रबर इत्यादि दिया गया था. लेकिन इसका उपयोग अब बच्चे कर रहे हैं. ऐसा करने के लिए महिलाओं ने भी बच्चों को पूरी छूट दे रखी है. डीपीओ साक्षरता वीरेन््रद कुमार सिंह ने बताया कि असाक्षरों को शिक्षा की मुख्य धारा में शामिल करके नवसाक्षर बनाने की दिशा में साक्षर भारत मिशन जिले में सफल रहा है. अबतक किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली है.

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