शीतलहर से पशुपालकों की बढ़ी परेशानी

मोहनपुर : बढ़ती ठंड, सुबह की कोहरा और हाड़ कपा देने वाली हल्की बहती पछुआ हवा की झोकों से प्रखंड क्षेत्र के पशुपालकों की परेशानी बढ़ा दी है़ किसानी के साथ पशुपालन करने वाले लोगों के लिए इन दिनों अपने पशुओं की सुरक्षा एक यक्ष प्रश्न की तरह उभर रहा है़ खेतों में नमी नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2016 4:20 AM

मोहनपुर : बढ़ती ठंड, सुबह की कोहरा और हाड़ कपा देने वाली हल्की बहती पछुआ हवा की झोकों से प्रखंड क्षेत्र के पशुपालकों की परेशानी बढ़ा दी है़ किसानी के साथ पशुपालन करने वाले लोगों के लिए इन दिनों अपने पशुओं की सुरक्षा एक यक्ष प्रश्न की तरह उभर रहा है़

खेतों में नमी नहीं रहने के कारण पशुपालकों ने जई, बरसीम आदि हरे चारे की बुआई देर से की थी़ जो अभी तक पशुओं को खिलाने योग्य नहीं हुई है़ रही सही कसर सूखें चारे की रोज-रोज बढ़ती हुई कीमत ने पशुपालकों के माथे के उपर चिंता की लकीर खींच दी है़

नवल किशोर महतो, बेबी देवी, उपमुखिया महेन्द्र महतो, भरत राय, रामकिशोर राय, चंद्रिका राय आदि किसानों ने जानकारी दी कि भूसा 600-700 रुपये प्रति क्विंटल, घान का पुआल 300 रुपये प्रति सैकड़ा की दर से खरीदारी करने के क्रम में खासी तरद्दू उठानी पड़ रही है़
बाजार में चोकर तथा खल्ली की कीमत आसमान छूने लगी है़ ऐसी स्थिति में दुधारु पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है़ पशुपालकों को बढ़ती ठंड के कारण अपने पशुओं को कोल्ड डायरिया से प्रकोपित होने का भी डर समा रहा है़ सरकारी स्तर पर यूं तो पशुओं के लिए प्रखंड पशु अस्पताल में कई तरह की दवाएं उपलब्ध होने की बात बतायी जाती है परंतु किसानों की बात माने तो ठंड लगने से पशुओं की दवा अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं है़
परिणामत: प्रखंड क्षेत्र के पशुपालक अपने पशुओं की इलाज परंपरागत नुक्शा को अपनाकर करते है या झोलाछाप पशु चिकित्सक के चक्कर में पड़कर अपनी गाढ़ी कमाई पशुओं की समुचित इलाज नहीं होने के कारण गवां देते हैं़

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