जलालपुर में 50 घर जलकर राख में तब्दील

फर्नीचर की दुकान में जली बेशकीमती लकड़ियां पांच बकरियां, तीन मोटरसाइकल सहित दर्जन भर साइकिलें जलीं 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति के जलने का अनुमान मोहनपुर : प्रखंड इतिहास के सबसे भीषणतम अग्निकांड का गवाह बना थाना क्षेत्र का जलालपुर गांव़ जहां गुरुवार के दोपहर में खाना बनाते वक्त आग की चिनगारी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 1:51 AM

फर्नीचर की दुकान में जली बेशकीमती लकड़ियां

पांच बकरियां, तीन मोटरसाइकल सहित दर्जन भर साइकिलें जलीं
50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति के जलने का अनुमान
मोहनपुर : प्रखंड इतिहास के सबसे भीषणतम अग्निकांड का गवाह बना थाना क्षेत्र का जलालपुर गांव़ जहां गुरुवार के दोपहर में खाना बनाते वक्त आग की चिनगारी ने 50 से अधिक घरों को अपनी आगोश में लेकर राख में तब्दील कर दिया़
हरिहर पासवान के घर से निकली चिनगारी ने तेज रफ्तार से बहती पछिआ का साथ पाकर कहर बरपाया़ देखते ही देखते लाखों की संपत्ति राख के ढेर में बदल गयी़ आग की उठती लपटों को देखकर तथा पीड़ित परिवार की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीणों के साथ साथ अगल-बगल के गांव के लोग भी सहायता के लिए दौड़ पड़े़ अगलगी की घटना की सूचना ग्रामीणों ने एसडीओ, पटोरी राजेश कुमार, सीओ अखिलेश कुमार सिन्हा, बीडीओ डा़ जियाउल हक, ओपी अध्यक्ष जागेश्वर राय, चिकित्सा पदाधिकारी डा़ सुशील कुमार पूर्वे को दी़ घटना की सूचना प्राप्त होते ही दमकल कर्मी भी घटना स्थल पर पहुंचे़ ग्रामीणों एवं दमकल कर्मियों के अथक प्रयास से शेष घरों में आग को फैलने से रोका गया़
अगलगी की घटना में पीड़ित परिवारों में शम्भू पासवान, संतोष शर्मा, पिंटू शर्मा, शंकर पासवान, तपन पासवान, दशरथ मल्लिक, जीतू पासवान, चन्दन पासवान, विरपत पासवान, सूुरज पासवान, विश्वनाथ पासवान, मेघन पासवान, टोखन पासवान, जीतन पासवान, गिरवल पासवान, वशिष्ठ पासवान सहित कई परिवार शामिल हैं, जिन्हें अंचल कर्मियों के द्वारा सूचीबद्ध किया जा रहा है़ अगलगी की घटना में पांच बकरियां, तीन मोटरसाइकिल, दर्जन भर से अधिक साइकिल, फर्नीचर की दुकान, कपड़े, अनाज, नकद राशि, गहने, बरतन आदि के जलने से 50 लाख से अधिक की संपत्ति जलने का अनुमान है़
कड़ी धूप में बिलख रहे बच्चे
घर राख में तब्दील हो गये़ खाने पहनने को कुछ भी नहीं बचा़ बड़ों की सहनशक्ति जवाब दे रही है, वहीं बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है़ वे कड़ी धूप में बगैर खाये पीये बिलख रहे हैं.
सहायता में आचार संहिता बना व्यवधान
सरकारी तौर पर मिलने वाली सहायता औपचारिकताओं के बाद मिलेगी़ सामाजिक स्तर पर मदद को लोग आचार संहिता के कारण आने में हिचक रहे हैं. घटना स्थल के करीब ही तीन मुखिया प्रत्याशियों के घर हैं. परंतु कल तक सुख दु:ख में साथ निभाने का वादा करने वाले ये लोग भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहे़ डर है, कहीं आचार संहिता में फंस न जायें.उल्लेखनीय है कि प्रखंड में पहले चरण में ही 24 अप्रैल को पंचायत चुनाव होना है़

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