एपीएचसी से बदतर है अनुमंडलीय अस्पताल
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36 घंटे के बाद काम पर लौटे चिकित्सक
एपीएचसी से बदतर है अनुमंडलीय अस्पताल शाहपुर पटोरी : आखिरकार अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार की पहल रंग लायी़ अनुमंडलीय अस्पताल से जुड़े चिकित्सक एवं कर्मी 36 घंटे के बाद काम पर लौट आये़ बुधवार को अस्पताल परिसर में समान्य दिनों की तरह चहल-पहल देखी गयी़ रोगियों का इलाज डा़ जी हैदर एवं डा़ भूषण के […]
शाहपुर पटोरी : आखिरकार अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार की पहल रंग लायी़ अनुमंडलीय अस्पताल से जुड़े चिकित्सक एवं कर्मी 36 घंटे के बाद काम पर लौट आये़ बुधवार को अस्पताल परिसर में समान्य दिनों की तरह चहल-पहल देखी गयी़ रोगियों का इलाज डा़ जी हैदर एवं डा़ भूषण के द्वारा किया गया़ बताते चले कि सोमवार की प्रसव के दौरान सुलतानपुर छौड़ाही निवासी रामसखा राय की पत्नी आशा देवी तथा उसके नवजात प्रसव के दौरान हुई मौत पर आक्रोशित लोगों ने अनुमंडलीय अस्पताल पर जमकर बबाल मचाया था तथा चन्दन चौक के समीप पटोरी-समस्तीपुर एवं पटोरी-मोहिउद्दीननगर मुख्य पथ को जाम कर दिया था़
मृतिका के पति द्वारा अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ जवाहर प्रसाद साह तथा दो एएनएम को नामजद किया गया है़ दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि जच्चा-बच्चा की मौत डाॅसाह तथा उस समय कार्यरत एएनएम के लापारवाही के कारण हुआ है़ मंगलवार को अस्पताल प्रशासन द्वारा सुरक्षा के मांग को लेकर तथा असुरक्षित महसूस करते हुए चिकित्सकों एवं कर्मियों ने कार्य का बहिष्कार कर दिया था़ यहां बताते चलें कि दरभंगा और पटना मेडिकल कालेज अस्पताल पर बढ़ रहे बोझ को कम करने के लिए पूरे बिहार में तीन अस्पताल का निर्माण कराया गया था़
इनमें एक पटोरी अनुमंडलीय अस्पताल भी शामिल है़ मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा वर्ष 2012 में उद्घाटित इस अस्पताल की लागत राशि पांच करोड़ रुपये थी़ उद्घाटन के बाद अबतक वैसी कोई सुविधा नहीं दी गयी, जो किसी पीएचसी से अधिक हो़ आज तक अनुमंडलीय अस्पताल में स्थायी महिला चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो सकी़
जांच की समुचित सुविधा और आवश्यक दवाये कभी भी उपलब्ध नहीं रही़ महिला प्रसव की जिम्मेवारी एएनएम के भरोसे करायी जाती है़ कई लोगों का कहना है कि इतना बड़ा अस्पताल सिर्फ पीएचसी ही बनकर ही रह गया जहां सुविधा एपीएचसी लायक भी नहीं रह गयी़
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