केस के अनुसंधान में रोड़ा लापरवाही. फाइलों में घूम रही इंज्यूरी रिपोर्ट

सदर अस्पताल में महीनों पड़ी रहती है इंज्यूरी व पोस्टमार्टम रिपोर्ट डॉक्टर व पुलिस की लापरवाही से पीड़ितों को ससमय नहीं मिलता न्याय कई मामलों में नहीं बनी इंज्यूरी रिपोर्ट, डॉक्टर व आइओ का हो गया तबादला समस्तीपुर : इंज्यूरी एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही पुलिस विभाग सजग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2016 4:52 AM

सदर अस्पताल में महीनों पड़ी रहती है इंज्यूरी व पोस्टमार्टम रिपोर्ट

डॉक्टर व पुलिस की लापरवाही से पीड़ितों को ससमय नहीं मिलता न्याय
कई मामलों में नहीं बनी इंज्यूरी रिपोर्ट, डॉक्टर व आइओ का हो
गया तबादला
समस्तीपुर : इंज्यूरी एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही पुलिस विभाग सजग दिख रही है. तभी तो महीनों पूर्व तैयार इंज्यूरी एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट आज सदर अस्पताल में या तो धुल फांक रही है या नहीं तो उसे घटना के महीनों बाद भी लिखा ही नहीं गया है. कई मामलों में तो ऐसा लगता है कि जैसे किसी को इसकी दरकार है ही नहीं. कारण जो भी हो, लेकिन इसमें चिकित्सक एवं पुलिस के साथ-साथ व्यवस्था तीनों की खामियां साफ झलक रही हैं. इसका परिणाम पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा है. रिपोर्ट नहीं मिलने या लेने के कारण महीनों तक कांड लंबित रहता है. इससे ससमय पीड़ितों को न्याय भी नहीं मिल पाता है.
एक साथ सौंपी गयी 154 रिपोर्ट
हालांकि, चार महीने पूर्व 21 मार्च को तत्कालीन एसपी सुरेश प्रसाद चौधरी के पहल पर स्वास्थ्य विभाग ने एक साथ कुल 154 कांडों की इंज्यूरी रिपोर्ट पुलिस को सौंपा था. पुलिस सूत्रों की मानें तो आज भी कई इंज्यूरी रिपोर्ट पुलिस कार्यालय की फाइलों में ही घुम रही है. कई कांड के अनुसंधानकों ने आज तक पुलिस कार्यालय से इसे प्राप्त ही नहीं किया है.
क्या है नियम : कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़ कर नियमत: इंज्यूरी एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट को संबंधित चिकित्सकों को उसी दिन लिखना है, जिस दिन मामला दर्ज हो या जिस दिन पोस्टमार्टम किया गया हो. लेकिन ऐसा नहीं होता. चिकित्सक अपनी सुविधा एवं समय के मुताबिक रिपोर्ट लिखते हैं. नियमत: तो ग्रेवियस इंज्यूरी (गंभीर जख्म) की रिपोर्ट बिना रेडियोलॉजिस्ट नहीं दी जा सकती है, वहीं सिंपल इंज्यूरी (सामान्य जख्म) में बिना रेडियोलॉजिस्ट भी रिपोर्ट दी जा सकती है. लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा नहीं होता.
कहां फंसता है मामला : जानकारी के मुताबिक जख्मी के रेफर किये जाने, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर होकर आने, एक्सरे रिपोर्ट के इंतजार एवं लोकल पुलिस थानों में मामला दर्ज होने की स्थिति में अक्सर इंज्यूरी रिपोर्ट फंस जाती है.
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, प्राइमरी इंज्यूरी रिपोर्ट, एक्सरे रिपोर्ट एवं रेफर किये जाने वाले संबंधित बड़े अस्पतालों की रिपोर्ट के इंतजार में या मरीजों की भीड़ एवं समयाभाव के कारण चिकित्सक रिजर्व ओपिनियन लिख कर इंज्यूरी रिपोर्ट रख लेते हैं. इसी बीच अगर उनका तबादला हो गया तो यह मामला और फंस जाता है. वहीं कई ऐसे भी मामले होते हैं, जिनमें पीड़ित सदर अस्पताल में एडमिट होने एवं प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विरोधी पक्ष से सुलह कर लेते हैं. इसको लेकर चिकित्सक के साथ-साथ संबंधित आइओ भी इंज्यूरी रिपोर्ट की अनदेखी कर देते हैं.
वर्षों बाद भी नहीं लिखी गयी रिपोर्ट
कई मामलों में तो वर्षों बाद भी इंज्यूरी रिपोर्ट नहीं लिखी जा सकी है. आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि इन मामलों से संबंधित चिकित्सक एवं कांड के अनुसंधानक तक का महीनों पहले तबादला हो चुका है. ऐसी स्थिति में वर्तमान आइओ को इंज्यूरी रिपोर्ट के लिए काफी परेशानियों का सामना उठाना पड़ रहा है. खासकर वाहन दुर्घटनाओं के मामलों में काफी लापरवाही बरती जाती है. वाहन दुर्घटनाओं में जख्मी को ससमय इंज्यूरी रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण पीड़ित को इंश्योरेंस क्लेम तक नहीं मिल पाता है.
केस एक : करीब डेढ़ साल पूर्व 31 मार्च 2015 को उजियारपुर के बाजितपुर निवासी नरेश कुमार सिंह सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे. इनकी जख्म रिपोर्ट एक वर्ष तीन माह बाद 24 जून 2016 को लिखी गयी. इस कांड के अनुसंधानक एवं संबंधित चिकित्सक का भी तबादला हो गया था.
केस दो : तीन साल पूर्व वर्ष 2013 में सरायरंजन की सकली देवी को धारदार हथियार से प्रहार कर जख्मी कर दिया गया था. इस घटना में उसके कान कट गये थे. इसको लेकर स्थानीय थाने में कांड संख्या 234/13 दर्ज किया गया था. लेकिन तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज तक इस मामले में इंज्यूरी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी है.
केस तीन : करीब तीन साल पूर्व अंगारघाट थाना के एक दारोगा के साथ मारपीट की घटना घटी थी. सूत्रों की मानें तो इस मामले में भी महीनों बाद उस समय इंज्यूरी रिपोर्ट लिखी गयी थी. वरीय अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लेते हुए संबंधित आइओ पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी.
ससमय रिपोर्ट नहीं मिलने से अनुसंधान में दिक्कत
सदर अस्पताल से ससमय इंज्यूरी एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण कांड अनुसंधान में दिक्कतें होती हैं. इस समस्या से अस्पताल प्रशासन को अवगत कराया गया है .साथ ही कांड के अनुसंधानकों को भी विशेष दिशा-निर्देश दिये गये हैं.
आमीर जावेद, एएसपी, समस्तीपुर

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