समस्तीपुर में कम हुआ पानी, खतरा बरकरार

समस्तीपुर : पिछले चार दिनों से विकराल रूप धारण करनेवाली गंगा अब शांत हो गयी है. करीब 16 घंटे से पानी का बढ़ना रुक गया है. इससे मोहिउद्दीननगर, मोहनपुर, विद्यापतिनगर व शाहपुर पटोरी के करीब तीन लाख लोगों ने राहत की सांस ली है. हालांकि खतरा अब भी बरकरार है. गंगा अभी स्थिर है. इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2016 5:42 AM

समस्तीपुर : पिछले चार दिनों से विकराल रूप धारण करनेवाली गंगा अब शांत हो गयी है. करीब 16 घंटे से पानी का बढ़ना रुक गया है. इससे मोहिउद्दीननगर, मोहनपुर, विद्यापतिनगर व शाहपुर पटोरी के करीब तीन लाख लोगों ने राहत की सांस ली है. हालांकि खतरा अब भी बरकरार है. गंगा अभी स्थिर है.

इसके कारण प्रभावित इलाकों में स्थिति जस की तस बनी हुई है. हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से बुलायी गयी एसडीआरएफ की टीम निचले इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में जुट गयी है. मोहिउद्दीननगर के महम्मदीपुर, कुरसाहा, विशनपुर बेरी, दुबहा, बोचहा, मोहनपुर व पटोरी में भी कई स्थानों पर राहत शिविर लगाये गये हैं. इन जगहों पर राहत सामग्री की व्यवस्था की जा रही है. विद्यापतिनगर के खनुआ स्लुइस गेट

समस्तीपुर में कम
की मरम्मत शुरू कर दी गयी है. कई स्थानों पर बांध को बचाने का भी प्रयास शुरू किया जा रहा है.
इन पंचायतों में बाढ़ से तबाही
चार प्रखंडों के कुल 34 पंचायतों में बाढ़ ने तबाही मचायी है. इनमें मोहिउद्दीननगर के 14 पंचायतों मोहिउद्दीननगर उत्तर, करीमनगर, रासपुर पतसिया पूर्वी व पश्चिमी, हरैल, कुरसाहा, बोचहा, महम्मदीपुर, दुबहा, मोहिउद्दीननगर दक्षिण, तेतारपुर, मदुदाबाद व राजाजान शामिल हैं. वहीं मोहनपुर प्रखंड के 11 पंचायत धरनीपट्टी पूर्वी व पश्चिमी, बघरा, मोहनपुर, जलालपुर, विशनपुर बेरी, दशहरा, राजपुर जौनापुर, माधोपुर सरारी, डुमरी उत्तरी व दक्षिणी शामिल हैं. इसके अलावा पटोरी के पांच पंचायत उत्तरी धमौन, दक्षिणी धमौन, हेत्तनपुर धमौन, इनायतपुर धमौन, हरपुर सैदाबाद हैं. विद्यापतिनगर की चार पंचायत शेरपुर, बाजितपुर, बालकृष्णपुर मरवा व खोदियाही में बाढ़ का पानी फैला हुआ है. सबसे ज्यादा तबाही मोहिउद्दीननगर की दस पंचायतों में हुई है.
तीन लाख आबादी को
भारी क्षति
जिले के मोहिउद्दीननगर, मोहनपुर, विद्यापतिनगर व शाहपुर पटोरी की कुल 34 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं. इनमें 14 पंचायतें पूरी तरह से डूब चुकी हैं. इन प्रखंडों के 90 से अधिक गांवों की करीब तीन लाख आबादी को भारी क्षति का सामना करना पड़ा है. फसलें पूरी तरह से खत्म हो गयी हैं. घरों में रखा अनाज खराब हो गया है. मवेशियों के लिए चारा नहीं मिल रहा है. लोग ऊंचे स्थलों पर शरण लिए हुए हैं.

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