पहले भी हादसे में गयी हैं सैकड़ों जानें
समस्तीपुर : समस्तीपुर रेलमंडल में पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं. सोमवार को तड़के रामभद्रपुर में अर्घ के लिए भगवान भास्कर का इंतजार कर रहे पांच लोग ट्रेन की चपेट में आये, तो पुराने हादसों की बात भी होने लगी. समस्तीपुर-सहरसा रेलखंड के धमारा घाट स्टेशन के पास स्थित कत्यायनी मंदिर के पास तीन […]
समस्तीपुर : समस्तीपुर रेलमंडल में पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं. सोमवार को तड़के रामभद्रपुर में अर्घ के लिए भगवान भास्कर का इंतजार कर रहे पांच लोग ट्रेन की चपेट में आये, तो पुराने हादसों की बात भी होने लगी. समस्तीपुर-सहरसा रेलखंड के धमारा घाट स्टेशन के पास स्थित कत्यायनी मंदिर के पास तीन साल पहले 19 अगस्त 2013 को पूजा अर्चना को जा रहे 28 लोगों की राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन से कट कर मौत हो गयी थी, जबकि आधा दर्जन से अधिक लोग जख्मी भी हो गये थे.
इसी खंड पर उक्त मंदिर के पास ही छह जून 1981 को समस्तीपुर- बनमनकी सवारी गाड़ी के कई डब्बे उफनती बागमती नदी में जा गिरी थी. इसमें सौ से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. घटना के 35 साल बाद भी ट्रेन की बोगी का अबतक पता नहीं चल सका है. उस समय इस खंड पर छोटी लाइन की ट्रेनें चला करती थीं. उक्त दो बड़ी घटना के बाद लोग इस खंड को मौत का सफर खंड के नाम से भी पुकारने लगे हैं.
नीरपुर गांव के पास गयी हैं आठ जानें. आंकड़ा के अनुसार चार अक्तूबर 2004 को नीरपुर गुमटी के पास ग्वालियर एक्सप्रेस से चार स्कूली बच्चों की कट कर मौत हो गयी थी. सभी बच्चे मैट्रिक परीक्षा का टेस्ट देकर रेलवे लाइन पकड़ कर लौट रहे थे. 2009 में इसी स्थल पर नीरपुर के सीताराम साह के पुत्र राज किशोर साह की मौत मिथिला एक्सप्रेस से कट कर हो गयी थी. 16 अप्रैल 2011 को फिर उसी जगह पर कर्पूरी ग्राम हाइ स्कूल से लौट रहे तीन छात्रओं की मौत वैशाली सुपर फास्ट एक्सप्रेस की चपेट में आने से हो गयी थी.