समस्तीपुर : मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया के स्वायत स्वरूप को समाप्त कर भारत सरकार द्वारा नेशनल मेडिकल कमीशन लागू करने के विरोध में आइएमए सत्याग्रह की राह धरेगा. पहली कड़ी में बुधवार को जिला मुख्यालय में डाॅक्टर धरना देंगे. आइएमए के सचिव डाॅ सुशांत इसकी अगुवाई करेंगे. जानकारी के अनुसार, नये कमीशन में गैर चिकित्सकों को भी शामिल करने का प्रावधान किया गया है. सरकार के इस कदम को आइएमए अलोकतांत्रिक करार दिया है. इसके साथ ही पीसी,
पीएनडीटी एक्ट 94 के तहत लिंग परीक्षण समेत अन्य कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान करने की मांग की जा रही है न कि अभिलेखों में किसी तरह की कमी होने पर. संगठन क्लिनिक स्टैबलिश्मेंट एक्ट 2010 में कई विसंगतियों को दूर करने की मांग कर रहा है. उपभोक्ता संरक्षण कानून में दुनिया के अन्य देशों की तरह दंड की अधिकतम सीमा का जिक्र नहीं है. इसका विरोध किया जा रहा है. इसके अलावा आधुनिक एमबीबीएस चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सकों की अवमानना को रोकने की बात कही जा रही है. इसके अलावा भी कई अन्य मांगों का जिक्र करते हुए संगठन इसमें व्यापक सुधार की मांग कर रही है.
आइएमए के जिला सचिव डाॅ सुशांत का कहना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के आश्वासन पर आइएमए ने विरोध वापस लिया था. उस वक्त मंत्री ने संगठन के पांच सूत्री मांगों पर विचार करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा था. इसके करीब एक वर्ष बीत गये. लेकिन कुछ नहीं हुआ. संगठन इसके विरोध में सत्याग्रह करेगा. इसमें सभी डाॅक्टरों की भागीदारी सुनिश्चित करा लिया गया है. इधर, भाषा के जिला सचिव डाॅ एबी सहाय ने बताया कि आइएमए की मांगों का वह समर्थन करते हैं. जिन शर्तों के आधार पर सरकार क्लिनिकों का संचालन करने की बात कर रही है, उस कसौटी पर सरकारी अस्पताल खुद फिट नहीं बैठ रहा है. सरकार को सबसे पहले उसे दुरुस्त करना चाहिए. साथ ही एक्ट के अंतर्गत उसे भी शामिल करना चाहिए था. अन्यथा डाॅक्टर इसका विरोध जारी रखेंगे.