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हड़ताल से चरमरायी व्यवस्था

एंबुलेंस 102. सेवा के मुद्दे पर चालक व स्वास्थ्य प्रशासन में ठनी समस्तीपुर : दिल्ली, हरियाणा व मध्य प्रदेश की तर्ज पर बहाली की मांग को लेकर हड़ताल पर चल रहे एंबुलेंस 102 की सेवा 20 दिनों से ठप है. इसका सीधा असर इसके लाभ उठाने वाले गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं, नवजात बच्चों के साथ साथ […]

एंबुलेंस 102. सेवा के मुद्दे पर चालक व स्वास्थ्य प्रशासन में ठनी

समस्तीपुर : दिल्ली, हरियाणा व मध्य प्रदेश की तर्ज पर बहाली की मांग को लेकर हड़ताल पर चल रहे एंबुलेंस 102 की सेवा 20 दिनों से ठप है. इसका सीधा असर इसके लाभ उठाने वाले गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं, नवजात बच्चों के साथ साथ उन लोगों पर दिख रहा है, जिन्होंने 65 वर्ष की आयु सीमा पार कर रखी है. स्वास्थ्य विभाग और चालकों के बीच ठने इस मुद्दों की मार लाभुक झेल रहे हैं. अधिकतर जरूरतमंद निजी वाहनों की शरण में जा रहे हैं. इससे जहां आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहे लाभुकों और बुजुर्गों को बीमारी के साथ पैसे का भी दर्द झेलना पड़ रहा है. इससे उनकी नजरें बारबार स्वास्थ्य प्रशासन की ओर आ टिकती हैं.
लेकिन 27 अक्तूबर 16 से हड़ताल पर चल रहे एंबुलेंस 102 के चालक बीते करीब छह महीनों के लंबित भुगतान से खासे नाराज हैं. एक कर्मी का औसतन 1.50 लाख रुपये रोगी कल्याण समिति ने रोक रखा है. इससे जैसे-जैसे उनकी परेशानियों में इजाफा हो रहा है, चालक सख्त रुख अख्तियार कर रहे हैं. इससे विभाग की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं.
इस बीच राज्य सरकार ने विभाग को पत्र भेजकर हड़ताल अवधि में लाभुकों को सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश दिया. इसके बाद रोगी कल्याण समिति हड़ताली चालकों से एंबुलेंस की चाबी तलब कर रहे हैं. इससे चालक इनकार कर रहे हैं. हड़ताली एंबुलेंस 102 के चालक संघ का कहना है कि रोगी कल्याण समिति राज्य सरकार के निर्देश पर निजी एंबुलेंस लेने के बजाय उनकी गाड़ी की चाबी छीन रहे हैं. इसे हरगिज बरदाश्त नहीं किया जायेगा.
जबकि जिला स्वास्थ्य समिति का कहना है कि वे निर्देश के आलोक में निजी चालक को रख कर लाभुकों की सेवा बहाल करने के लिए चाबी तलब कर रहे हैं. इसमें सहयोग नहीं करना उचित नहीं है, जबकि विभाग के इस कदम को चालक संघ तानाशाही रवैया करार देकर चाबी नहीं देने का एलान कर दिया है. इससे विभाग सकते में है.
लाभुक ले रहे निजी वाहनों का सहयोग
डाॅ जैन के माध्यम से बहाल हैं चालक
जच्चा बच्चा को एक महीने और 65 की उम्र पार कर चुके बुजुर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में एंबुलेंस 102 सेवा की बहाली को लेकर डाॅ जैन नामक एनजीओ के साथ करार किया.
इसके माध्यम से सभी अस्पतालों में एंबुलेंस उपलब्ध हुए. इससे 24 घंटे में औसतन 20 से 25 लोगों को मुफ्त सुविधा उपलब्ध हो रही थी. करार समाप्त होने के बाद चालक रोगी कल्याण समिति के माध्यम से काम कर रहे थे. इस बीच फिर से संविदा की सुगबुगाहट शुरू हुई. इसके बाद चालक भड़क उठे और इन्होंने अन्य राज्यों की तर्ज पर खुद को संविदा के आधार पर स्वास्थ्य समिति के माध्यम से बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
टेंडर की प्रक्रिया को खारिज करें. स्वास्थ्य समिति के माध्यम से संविदा पर सरकार बहाल करें. उन्हें सेवा देने में कोई आपत्ति नहीं है.
भोला कुमार, अध्यक्ष, चालक संघ
विभागीय निर्देश पर चालकों से चाबी मांगी जा रही है. भुगतान का मामला कोर्ट में है. उनकी मांगों पर फैसला सरकार करेगी. इस संबंध में जो भी निर्देश राज्य से आयेगा उसका अनुपालन होगा.
एसके दास, डीपीएम, समस्तीपुर

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