खता मां की, सलाखों में कैद बचपन

मासूम का पीड़ा मंडलकारा में मां के साथ तीन मासूम बच्चे भी हैं बंद समस्तीपुर : वे भी खुले आसमान में उड़ान भरना चाहते हैं. रेत के घरोंदे बनाकर हमउम्र साथियों से खेलना है. खुलकर किलकारी भरना और कुछ पाने की जिद करना उनके लिए दूर की बात है़ उनका बचपन सलाखों में कैद होकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2016 4:17 AM

मासूम का पीड़ा मंडलकारा में मां के साथ तीन मासूम बच्चे भी हैं बंद

समस्तीपुर : वे भी खुले आसमान में उड़ान भरना चाहते हैं. रेत के घरोंदे बनाकर हमउम्र साथियों से खेलना है. खुलकर किलकारी भरना और कुछ पाने की जिद करना उनके लिए दूर की बात है़ उनका बचपन सलाखों में कैद होकर रह गया है़ मंडल कारा में बंद मां की खता की सजा भुगत रहे तीन मासूमों की एक जैसी ही कहानी है़ बताते चलें कि मंडल कारा में 28 महिला बंदी हैं. इनमें से तीन महिला बंदियों के साथ मासूम बच्चे भी हैं. बिना कुछ किये ही उन्हें सलाखों के पीछे बचपन बिताना पड़ रहा है़ मां की खता से उनकी जिंदगी बैरक में सिमटकर रह गयी है़ न खेलने को खिलौने हैं और न हमउम्र साथी़
मां की उंगली पकड़कर वे भी बैरक से बाहर जाने की जिद करते हैं. मासूमों को क्या पता मां के पैरों में कानून की बेड़ियां हैं. कारा मैनुअल में कारा प्रशासन की ओर से न तो उन्हें खिलौने दिये जाने की व्यवस्था है और न ही खेल के साधन मुहैया कराने की. कुछ गैर सरकारी संस्थाएं कारा में कभी खिलौने बांटती हैं. मगर, वह बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं हो पाते़ मंडल कारा के महिला वार्ड में उनका बचपन गुजर रहा है.
औपचारिकता में शिक्षक, नाम की पढ़ाई : मंडल कारा में इन बच्चों के लिए अलग से न कोई मैदान है और न कोई अक्षर ज्ञान कराने वाला़ हालांकि, कारा अधीक्षक के निर्देश पर पुरुष साक्षर बंदी जो निरक्षर बंदियों को अक्षर ज्ञान देने में अपना योगदान देते हैं वे इन तीन बच्चों को भी पढ़ाते हैं, लेकिन केवल औपचारिकता पूरी करने को इनकी तैनाती कर दी गयी है़ समेकित बाल विकास परियोजना के तहत कारा में मां के साथ रहने वाले बच्चों को नियमित टीकाकरण और पोषक आहार देने के निर्देश हैं. मगर, असलियत में कारा में ऐसा कुछ नहीं हो रहा़
क्या है व्यवस्था
महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों को प्रत्येक छह माह पर एक सेट कटोरा, चम्मच, गिलास, खेल सामग्री व पहनने का वस्त्र देने का आदेश दिया गया है़ सभी बच्चों को प्रति माह नहाने का साबुन व बेबी पाउडर, प्रति दिन दो फल व अंडा तथा प्रति दिन 500 ग्राम एमएल दूध, दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए प्रति दिन 500 ग्राम चावल अथवा आटा तथा 100 ग्राम दाल, प्रति माह शरीर में लगाने के लिए 200 ग्राम सरसों का तेल देने का प्रावधान है़
कारा मैनुअल के मुताबिक महिला बंदियों के साथ रहने वाले बच्चों की व्यवस्था की जा रही है़ समय-समय पर बच्चों के स्वास्थ्य की भी जांच कारा चिकित्सकों द्वारा करायी जा रही है़
नंदकिशोर रजक, कारा अधीक्षक,समस्तीपुर

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