बदलते मौसम में सूक्ष्म जीवाणु का रोल अहम

सम्मेलन. वातावरण में परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने में सहायक है जीवाणु पूसा में जीवाणुओं पर सालों से चल रहा है शोध का काम पूसा : आज के बदलते मौसम में वातावरण परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने में सूक्ष्म जीवाणु सहायक है. सालों से पूर्व इसी पूसा की पावन धरती से ही सूक्ष्म जीवाणु पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2016 4:19 AM

सम्मेलन. वातावरण में परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने में सहायक है जीवाणु

पूसा में जीवाणुओं पर सालों से चल रहा है
शोध का काम
पूसा : आज के बदलते मौसम में वातावरण परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने में सूक्ष्म जीवाणु सहायक है. सालों से पूर्व इसी पूसा की पावन धरती से ही सूक्ष्म जीवाणु पर अनुसंधान कार्य की शुरुआत की गयी थी. इस विधि को विश्व विख्यात कंपोस्ट बनाने की इंदौर विधि हावार्ड ने पहल की. खासकर सौ वर्ष पूर्व ही सूक्ष्म जीवाणु पर अनुसंधानक को राह दिखायी गयी थी. इसे आज मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. सूक्ष्म जीवाणु को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार कर शोध करने की आवश्यकता है. यह बातें डाॅ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के संचार केंद्र में आहूत तीन दिनी बदलते मौसम के
परिवेश में सूक्ष्म जीवाणु संसाधन का खाद्य सुरक्षा के लिए प्रबंधन विषय पर वैज्ञानिकों के सम्मेलन को आइसीएआर दिल्ली के पूर्व परियोजना निदेशक डाॅ डीएलएन राव ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहीं. डाॅ राव ने कहा कि आधुनिक कृषि उत्पादन तकनीक में सुक्ष्म जीवाणुओं का विशिष्ट महत्व है. यह पौधों में पोषक तत्वों की उपलब्धता को वातावरण एवं भूमि से बढ़ाता है. आज के दिनों में सुक्ष्म जीवाणुओं का प्रयोग कृषि के साथ औद्योगिक अपविष्टों को पुन: उपयोग में लाने के लिए किया जाता है. अब आवश्यकता है कि बिहार के कृषि विकास के लिए सूक्ष्म जीवाणु के प्रयोग को बढ़ाना तथा इससे जुड़े अनुसंधान में गति देने की. इससे पूर्व संचार केंद्र में सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि ने दीप जला कर किया. हारमोनियम पर पं सत्यनारायण मिश्र एवं तबला पर सुनील कुमार के साथ गृह विज्ञान महाविद्यालय की छात्रा प्रियंका कुमारी, रंजना कुमारी, सलोनी कुमारी व सिम्पी कुमारी ने अतिथियों को मंत्र मुग्ध कर दिया.
वैज्ञानिकों के सम्मेलन को संबोधित करते डॉ डीएलएन राव.

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