समस्तीपुर : ज्योतिष के अनुसार वर्ष 2017 भारत वर्ष के लिए काफी उथल-पुथल वाला रहेगा. इस साल पांच फरवरी तक चंद्रदशा में मंगल अंतरदशा रहेगा. इस वजह से बाहरी क्षेत्र से संघर्ष, भितरघात, छल छद्म का डर रहेगा. वहीं देश नये दौर से भी गुजरेगा. आर्थिक उथल पुथल, नया प्रयोग, आरोप प्रत्यारोप, आंदोलन होते रहेंगे. पांच फरवरी से पांच अगस्त 2018 तक देश चंद्रदशा में राहु अंतरदशा प्रभाव में रहेगा.
गणतंत्र भारत के आधार से वृहस्पति में बुद्ध अंतरदशा 26 दिसंबर से एक अप्रैल 2019 तक रहेगा. संचारगत ग्रह 18 अगस्त 17 से राहु का गमन कर्क राशि पर हो रहा है. यह बातें ज्योतिषाचार्य डाॅ प्रभात कुमार वर्मा ने कहीं. उनके मुताबिक स्वतंत्रता प्राप्ति की कुंडली में पांच ग्रह क्रमश : सूर्य, शनि, बुद्ध, शुक्र, चंद्र एवं प्लूटो स्थित है. उसी समय गणतंत्र भारत की कुंडली में केतू का गमन मकर राशि पर होगा,
जहां सूर्य, शुक्र, वृहस्पति स्थित है. यह ग्रहीय क्राॅसिंग काफी कष्टकारी होगा. प्राकृतिक प्रकोप, आंदोलन, विध्वंशकारी घटनाएं एवं कठिनाई से देश को गुजरना पड़ सकता है. देश आंतरिक एवं अंतरविरोध के साथ साथ बाहरी भीतरघात, आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, मानसिक अवसाद एवं किसी आकस्मिक संकट से गुजर सकता है. देश की कुंडली में चंद्र सूर्य पर राहु का संचार कार्यकारी ग्रहण योग बनता है. अगस्त 17 से दिसंबर 17 तक विदेशी ताकतों से विशेष सतर्क रहने की जरूरत है. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विशेष युक्ति से अपना छाप छोड़ेगा. कोई अप्रत्याशित घटना अचंभित कर सकता है. राहु केतू का संचार दो बार पहले भी इस देश पर हो चुका है. इस दौरान चीन का आक्रमण, कारगिल युद्ध आदि हुए थे. हालांकि, 12 सितंबर से 11 अक्तूबर तक वृहस्पति का तुलागत संचार विशेष बौद्धिक प्रयास से समस्याओं को हल करने का शक्ति देता रहेगा. शनि 26 जनवरी 17 से 21 जून 17 तक धनु में रहेगा. इसी बीच 26 अक्तूबर 17 तक बक्री होकर वृश्चिक में रहेगा. पुन : 26 अक्तूबर से 24 जनवरी 20 तक धनु में रहेगा. शनि बक्री आक्रामक एवं कष्टकारी होता है. भारत के लिए भाग्येश एवं कर्मेश है. इस वजह से प्रजातंत्र पुष्ट होगा. कृषि में क्रांतिकारी खोज एवं विकास को दर्शाता है. हालांकि, जून 2017 से दिसंबर 17 तक राजनीतिक हलचल, प्राकृतिक आपदा, दुर्घटनाएं आदि संभव है. यह सुकुन की बात है कि शुक्र बुद्ध बी्र,च बीच में अपने चलन प्रभाव से कष्ट को कम करते रहेंगे. 27 जनवरी के बाद आर्थिक तंगी घटन के योग बन रहे हैं. भारतीय मुद्रा प्रणाली में ठोस निदान भी सफल होते दिखेगा. राहु इलेक्ट्रॉनिक संचार आदि का कारक होता है. इस वजह से इलेक्ट्रॉनिक का प्रयोग खट्ट मीठा अनुभव देने वाला रहेगा. क्षेत्रीय राजनीति में उथल पुथल भी बने रह सकते हैं. यह ज्योतिषीय गणना भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय एवं गणतंत्र की घोषणा के समय को केंद्र बिंदु में रखकर किया गया है.