विद्यापतिनगर : स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान रोज व रोज हो रहे स्थानीय युवकों की गिरफ्तारी व उन पर पड़ रही अंग्रेजी डंडों की मार से आजादी का आंदोलन न हो बीमार इसके लिए भी लोग थे तैयार. जी हां ऐसे देश भक्त थे बढ़ौना के देवेंद्र ठाकुर. जब अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का जजबा पूरे शबाब पर था़ तब युवाओं का जोश कमजोड़ न पड़ जाये. इसके लिए एक शिक्षक ने कमर कसी़ देवेंद्र ठाकुर सिमरी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक थ़े इतिहास गवाह है. वे बच्चों को किताबी ज्ञान बांटने के साथ-साथ स्वतंत्रता का मायने समझाते थ़े इसके साथ इलाके के युवाओं को एकत्रित कर अलग से स्वतंत्रता के विद्यालय का संचालन करते थ़े इस क्रम में वे युवाओं को अंग्रेजी दास्तान से लड़ने की शिक्षा देते थ़े
उनके बताये हुनर से युवाओं की बांहें फड़फड़ा उठती थी़ और यहां की अंग्रेजी सल्तनत पर प्रहार का दौड़ जारी रहता था़ अंग्रजी दास्ता से लड़ने की शिक्षा देने के आरोप में देवेंद्र ठाकुर को पांच वर्ष का सशक्त कारावास और एक सौ रुपये का जुर्माना की सजा अंग्रेजी हुकूमत ने तब दी थी़ श्री ठाकुर ने लड़ी जा रही स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का युवाओं को स्मरण करा उनमें जोश भरते थ़े बताते थे 16 अक्तूबर 1905 को लार्ड कजर्न ने कैसे जबरन बंगाल विभाजन किया़ उन्होंने बताया 30 जुलाई 1905 मुजफ्फरपुर में जिला जज किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर क्रांतिकारी संगठन युगांतर के खुदीराम बोस और प्रफुल्लचाकी द्वारा किया गया पहला बम धमाका के साहस को़ 11 अगस्त 1908 को सेंट्रल जेल मुजफ्फरपुर में भेदभाव पूर्ण तरीके से खुदीराम बोस को फांसी दिये जाने की घटना की याद दिलायी. 22 मार्च 1912 को बिहार और ओडिशा का बंटवारा़ उन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए युवाओं को 1919 में जालियावाला बाग गोली कांड की घटना का स्मरण कराया़ देवेंद्र ठाकुर के जज्बे से हासिल शिक्षा की बदौलत यहां अंग्रेजी हुकूमत डोल गयी थी़ बौखलाहट में आंदोलनकारियों के ठिकानों व घरों को नष्ट करने व आग के हवाले करने की खौफनाक अंग्रेजी फरमान भी यहां आजादी के दीवानों को नहीं डिगा पायी़