शिशु जन्म मृत्यु दर में आयी कमी
समस्तीपुर : पिछले कुछ वर्षो में नवजात शिशु के जन्म एवं मृत्यु दर में कमी आयी है. यह काफी सुकून देने वाला है. पहले जहां एक हजार में 42 बच्चों की मौत जन्म के समय ही हो जाती थी वहीं यह घटकर 28 प्रति हजार हो गया है. पर हमें इसमें और कमी लाने की […]
समस्तीपुर : पिछले कुछ वर्षो में नवजात शिशु के जन्म एवं मृत्यु दर में कमी आयी है. यह काफी सुकून देने वाला है. पहले जहां एक हजार में 42 बच्चों की मौत जन्म के समय ही हो जाती थी वहीं यह घटकर 28 प्रति हजार हो गया है. पर हमें इसमें और कमी लाने की जरुरत है. एक भी नवजात की मौत जन्म के बाद नहीं हो इसको ध्यान में रखकर हमें कार्य करना है. उक्त बातें डीएम प्रणव कुमार ने कही. वे शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर ओर से कमजोर नवजात की ट्रैकिंग विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद कही. उन्होंने कहा कि गर्भावस्था से ही सही देखरेख की जरुरत है.
कुपोषण एवं सही देखरेख नहीं होने के कारण ही कमजोर नवजात जन्म लेता है. ऐसे में हमें जागरूकता कार्यक्रम पर विशेष फोकस करने की जरुरत है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसे विशेष रूप से चलाने की जरुरत है. डीआईओ डा. सतीश कुमार सिन्हा ने नवजात के कमजोर होने के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि जन्म के दिन से ही ताकत के साथ बच्च यदि मां का दूध नहीं पी रहा हो तो समझ लें कि वह कमजोर है. जन्म के समय नवजात का वजन 2000 ग्राम से कम हो या फिर 34 सप्ताह से कम में यदि जन्म जन्म हुआ हो
तो ऐसी स्थिति में उस नवजात को कमजोर कह सकते हैं. कार्यशाला को जिला यक्ष्मा पदाधिकारी शिवनाथ शरण,डीपीएम सौरेन्द्र कुमार दास, डीपीई एएन झा,एसीएमओ अभिनव कुमार सिन्हा, आलोक कुमार समेत अन्य ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोग्राम ‘मां’ कार्यक्रम की भी शुरूआत की गयी.
कमजोर नवजात बच्चों की देखरेख पर कार्यशाला आयोजित
जिलाधिकारी ने किया कार्यशाला का उद्घाटन