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मौसम बदलने के साथ खराब हुई हवा की गुणवत्ता

मौसम बदलने के साथ ही हवा की गुणवत्ता बिगड़ने लगी है. तापमान में गिरावट होते ही एक्यूआई का स्तर बढ़ने लगा है.

समस्तीपुर : मौसम बदलने के साथ ही हवा की गुणवत्ता बिगड़ने लगी है. तापमान में गिरावट होते ही एक्यूआई का स्तर बढ़ने लगा है. अक्टूबर में जहां हवा की गुणवत्ता एक भी दिन एलो जाेन को पार नहीं किया है. वहीं, नवंबर में अबतक छह दिन हवा की गुणवत्ता ऑरेंज जोन में रही है. नवंबर में न्यूनतम तापमान गिरकर 13 डिग्री सेल्सियस तक गया है. वहीं, अधिकतम तापमान 26.2 डिग्री सेल्सियस तक नीचे गिरा है. हालांकि, अभी ठंड आनी बाकी है. लेकिन, एक्यूआई का स्तर खराब होने लगा है. एक नवंबर को एक्यूआई का स्तर 230 पर चला गया. वहीं, 12 नवंबर को 235 पर, 14 नवंबर को 234 पर, 17 नवंबर को 231 पर तथा 19 नवंबर को सबसे अधिक 242 पर चला गया. हालांकि, 20 नवंबर को एक्यूआई का स्तर ऑरेंज जोन से एलो जोन में आ गया. 20 नवंबर को एक्यूआई का स्तर 180 पर रहा. 20 नवंबर को न्यूनतम तापमान तकरीबन 2.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी रही. न्यूनतम तापमान 15.4 डिग्री सेल्सियस रहा. जो सामान्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. वहीं, 19 नवंबर को न्यूनतम तापमान 13.2 डिग्री सेल्सियस रहा. जो सामान्य से 2.1 डिग्री सेल्सियस कम रहा.

क्या है एक्यूआई

एयर क्वालिटी इंडेक्स सूचकांक के जरिये वायु की गुणवत्ता का पता चलता है. एक्यूआई का स्तर शून्य से 50 के बीच होने पर वायु को शुद्ध माना जाता है. इस स्थिति में एक्यूआई ग्रीन जोन में माना जाता है. वहीं, 51 से 100 सूचकांक के बीच रहने पर इसे संतोषजनक माना जाता है. इस स्थिति में एक्यूआई लाइट ग्रीन जोन में माना जाता है. 101 से 200 के बीच सूचकांक रहने पर वायु का स्तर मध्यम श्रेणी का माना जाता है. इस स्थिति में एक्यूआई एलो जोन में माना जाता है. वहीं, 201 से 300 के बीच सूचकांक रहने पर वायु की गुणवत्ता खराब मानी जाती है. इस जोन में एक्यूआई ऑरेंज जोन में माना जाता है. सूचकांक 301 से 400 के बीच रहने पर वायु की गुणवत्ता बेहद खराब मानी जाती है. इन स्थिति में एक्यूआई रेड में माना जाता है. 401 से 500 के बीच सूचकांक रहने पर वायु की गुणवत्ता की स्थिति गंभीर मानी गयी है. इस स्थिति में एक्यूआई डीप रेड जोन में माना जाता है.

कई कारणों से बिगड़ रही हवा की गुणवत्ता

तापमान में गिरावट के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता के बिगड़ने के कारण हैं. जिला कृषि प्रधान है, बार-बार रोक व चेतावनी के बाद भी किसान पराली, खेत के जंगलों को जलाने से परहेज नहीं कर रहे हैं. दूसरे गांव से लेकर शहर तक कचरों के ढेरों में आग लगाने का सिलसिला जारी है. वाहनों की संख्या की में लगातार वृद्धि हो रही है. जनसंख्या घनत्व तेजी से बढ़ रहा है. 2904 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस जिले की आबादी 57 लाख पार कर चुकी है. ईंट भट्ठे की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. निर्माण कार्य बिना ढके ही किया जाता है.

डीएम कार्यालय के पास की हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब

डीएम कार्यालय के पास की हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब रह रही है. इससे सटे पटेल मैदान में सुबह शाम लोग खेल का प्रैक्टिस करते हैं. बड़ी संख्या लोग मॉर्निंग वॉक पर आते हैं. जबकि हवा की गुणवत्ता खराब होने पर लोगों को लंबे समय तक ऐसी जगहों पर नहीं रहने की सलाह दी जाती है. लेकिन, यहां तो लोग जमकर शारीरिक परिश्रम करते हैं, जिससे सांसे और तेजी से चलती है. हवा की गुणवत्ता खराब होने पर स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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