आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व एग्रोमेट को मजबूती की जरूरत : कुलपति
कुलपति डॉ पांडेय ने मौसम और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंधों की निगरानी और इसके कृषि पर प्रभाव के महत्व पर जोर दिया.
पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में 17वीं द्विवार्षिक कार्यशाला ऑन एग्रोमेटोरोलॉजी का उद्घाटन उपमहानिदेशक आईसीएआर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने संयुक्त रूप से किया. कुलपति डॉ पांडेय ने मौसम और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंधों की निगरानी और इसके कृषि पर प्रभाव के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने वैज्ञानिकों से फसल उत्पादन पर मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की जांच करने और इन प्रभावों को कम करने के लिए रणनीतियों का विकास करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व वर्चुअल रियलिटी के प्रयोग से एग्रोमेट को और मजबूत करने की आवश्यकता है. मुख्य अतिथि उप महानिदेशक डॉ. एसके चौधरी ने कहा कि तीन दिनों के विचार के जो नतीजे निकलेंगे, वह सरकार को पाॅलिसी बनाने में मदद करेगा. निदेशक सीआरआईडीए हैदराबाद डॉ. बीके सिंह ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे. इससे निश्चित ही मौसम विज्ञान को लेकर नये आयाम निकलेंगे. निदेशक डॉ एके सिंह ने कहा कि बिहार में सूखा और बाढ़ एक बड़ी चुनौती है. इसके अतिरिक्त मौसम में अचानक परिवर्तन से भी किसान प्रभावित हो रहे हैं. जलवायु परिवर्तन को लेकर काफी अच्छा कार्य हो रहा है. इसे और अधिक बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं. प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ मयंक राय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर देश भर में जागरूकता बढ़ी है. कार्यक्रम में निदेशक डॉ अनूप दास व आईसीएआर के मौसम विज्ञान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ एसके बल ने भी अपने विचार रखे. कार्यशाला में देश भर के 29 राज्यों और 38 केंद्रों से 200 से अधिक वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं. इसमें एग्रोमेटोरोलॉजी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जायेगी. संचालन वैज्ञानिक डॉ मीनाक्षी द्विवेदी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन मौसम विज्ञान विभाग के नोडल अधिकारी डॉ अब्दुल सत्तार ने किया. निदेशक शिक्षा डॉ. उमाकांत बेहरा, डीन फिशरीज डॉ पीपी श्रीवास्तव, डॉ रत्नेश कुमार झा, डॉ महेश कुमार, डॉ शिवपूजन सिंह, डॉ नवनीत कुमार, डॉ कुमार राज्यवर्धन आदि थे.
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