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Flood in Bihar : बांध टूटने का ऐसा खौफ कि चार रातों से यहां कोई नहीं सोया

जिले के बीचो बीच गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी ने कोहराम मचा रखा है. बूढ़ी गंडक नदी किनारे बसे दर्जनों गांव के लोग आतंक के बीच जी रहे हैं. इन लोगों के लिए गंडक नदी का पल पल बढ़ता जलस्तर मौत के साये से कम नहीं है. जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से नदी के बांध व पुलिस गेटों पर इसका दबाव भी बढ़ता जा रहा है.

समस्तीपुर : जिले के बीचो बीच गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी ने कोहराम मचा रखा है. बूढ़ी गंडक नदी किनारे बसे दर्जनों गांव के लोग आतंक के बीच जी रहे हैं. इन लोगों के लिए गंडक नदी का पल पल बढ़ता जलस्तर मौत के साये से कम नहीं है. जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से नदी के बांध व पुलिस गेटों पर इसका दबाव भी बढ़ता जा रहा है. खासकर जिला मुख्यालय की ओर के शहर के कुछ मोहल्ले, वारिसनगर प्रखंड के मथुरापुर, सतमलपुर, खानपुर प्रखंड के पिरकपुर, शोभन बरगांव, भोरेजयराम, नत्थुद्वार, सिवैसिंगपुर, रजवाड़ा एवं धरमपुर के आसपास के दर्जनों गांव के लोग पिछले चार रात से सोये नहीं हैं.

जनरेटर लगाकर हुई लाइट की व्यवस्था

इन गांव के नवयुवकों की टोली रात रात भर जग कर बांध की पहरेदारी करते हैं. बांध के सभी ऐसे पॉइंट जो कमजोर है या जहां कटाव तेज है उन स्थानों पर काफी दूरी में जरनेटर लगाकर लाइट की व्यवस्था की गई है. पिछले चार दिनों में शोभन बरगांव, सती स्थान, नत्थुद्वार, रजवाड़ा एवं धरमपुर गांव के समीप कई बार रिसाव शुरू हो गया था. जिसे स्थानीय नवयुवकों ने मिट्टी भरा बोरा डाल डाल कर बंद किया. रिसाव की सूचना गांव में फैलते ही अफरातफरी मच जाती है. लोग आनन फानन में अपने सामानों को ऊंचे स्थलों पर पहुंचाना शुरू कर देते हैं. इस भागमभाग में कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं. बताया जाता है कि शुक्रवार की शाम रजवाड़ा गांव के समीप तेज रिसाव होने लगा था. इसी बीच गांव में किसी ने बाँध के टूटने की अफवाह फैला दी. इससे मची अफरातफरी में गिरकर गांव के ही मनोरंजन चौधरी की पत्नी गम्भीर रूप से चोटिल हो गयी.

सिवैसिंगपुर के एक हजार घरों में घुसा बाढ़ का पानी

जैसे-जैसे नदी में पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे विस्थापितों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. खासकर नदी के पेटी में बसे सिवैसिंगपुर एवं नत्थुद्वार पंचायत के कई वार्डों के करीब एक हजार से अधिक परिवारों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. निचले भाग में बने करीब दो सौ से अधिक घर पूरी तरह से डूब चुके हैं. इन जगहों के सैकड़ों परिवार घर छोड़कर बांध पर शरण ले चुके हैं. एक ही झोपड़ी में मवेशी बाल बच्चे के साथ लोग रहने को मजबूर हैं.

सिवैसिंगपुर मुखिया के प्रयास की हो रही सराहना

बाढ़ के पानी से विस्थापित हो चुके लोगों के लिए फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर तो कोई खास पहल नहीं की गई है. लेकिन स्थानीय मुखिया दीपक झा के द्वारा किए जा रहे प्रयास कि लोग सराहना कर रहे हैं. बताया जाता है कि मुखिया ने इन विस्थापित लोगों को पॉलीथिन तो उपलब्ध कराया ही है. साथ ही साथ सामुदायिक किचन में उनके लिए प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था भी किया जा रहा है. करीब डेढ़ हजार परिवार को दोनों टाइम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. शनिवार को भी ट्रैक्टर पर भोजन का पैकेट लाद कर लोगों के बीच वितरण किया जा रहा था. हालांकि इसके बावजूद कुछ परिवार मुखिया के प्रयास से सन्तुष्ट नहीं दिखे. उनका कहना था कि सभी विस्थापित तक राहत सामग्री नहीं पहुंचायी जा रही है.

posted by ashish jha

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