मोहिउद्दीननगर : पुनर्स्थापन, पुनरुत्पादन, आक्रामक और संरक्षण प्रयासों से जैव विविधता को बल मिलेगा. इसमें जीवन को बनाये रखने वाली विकासवादी, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक प्रक्रियाएं शामिल हो सकती है. यह बातें बुधवार को एचजे भाभा इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् मनोज कुमार सिंह ने कही. संचालन कुणाल कुमार सिंह ने किया. संगोष्ठी का आयोजन नमामि गंगे, भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून व गंगा समग्र के संयुक्त तत्वावधान में किया गया गया. इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लोगों और प्रकृति के बीच अंतर्संबंधों को स्वीकार करके अपने मौजूदा ज्ञान का आकलन करके और अपने संरक्षण निर्णय में सभी जीवन के लिए स्थिरता के प्रभावी दृष्टिकोण विकसित कर जैवविविधता को संरक्षित कर सकते हैं. यह धारणा है कि सामाजिक और जैविक आयाम परस्पर जुड़े हुए हैं जो मानव उपयोग, ज्ञान व विश्व भर की पारिस्थितिक प्रणालियों को प्रभावित करते हैं. बदले में प्रभावित होता है. जैव विविधता का मानव के लिए सांस्कृतिक मूल्य भी है. उपयोगितावादी मूल्य में कई बुनियादी जरूरतें शामिल हैं, जो मनुष्य जैव विविधता से प्राप्त करता है. जैव विविधता संबंधपरक मूल्य लोगों की व्यक्तिगत या सामूहिक भलाई, जिम्मेदारी और पर्यावरण के संबंध की भावना का हिस्सा है. वर्तमान परिवेश में जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सरकारी प्रयास के अलावा जनसहभागिता जरूरी है. संगोष्ठी के उपरांत विद्यालय परिसर में आगत अतिथियों ने पौधरोपण किया. इस मौके पर नमामि गंगे के जिला संयोजक धर्मवीर कुंवर, गंगा समग्र के भाई रंधीर, डॉ. प्रवीण कुमार हिमांशु, नंद किशोर कापर, संजय कुमार सिंह, बैजू कुमार, आनंद कुमार, विजय कुमार, नीली कश्यप, अपराजिता, स्नेहा सिंह, दीपांशी, नंदनी, मोनी सिंह, दीपशिखा, विन्देश्वरी राय, मो. सद्दाम, रितेश कुमार मौजूद थे.
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