समस्तीपुर. सभी काॅलेजों में मौजूदा शैक्षणिक सत्र से लागू हो चुके चार वर्षीय स्नातक कोर्स में स्टूडेंट्स को पढ़ाई छोड़ने का विकल्प मिलेगा. यानी अगर कोई स्टूडेंट्स पूरे पाठ्यक्रम की पढ़ाई नहीं करना चाहता है तो भी वह एडमिशन ले सकेगा. छात्र – छात्रा अगर चाहे तो पहले वर्ष, दूसरे वर्ष, तीसरे वर्ष या पूरा कोर्स कंप्लीट कर सकते हैं. इसका प्रावधान सेमेस्टर सिस्टम के तहत लागू होने वाले चार वर्षीय स्नातक कोर्स में किया गया है. स्टूडेंट दो सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद पढ़ाई छोड़ सकेंगे, तब उऩ्हें अंडर ग्रेजुएट सर्टिफिकेट दिया जाएगा. इसमें शर्त यह है कि उसे पहले और दूसरे दोनों सेमेस्टर में उसे पूरा क्रेडिट अर्जित करना होगा. साथ ही उसे 4 क्रेडिट वाले वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई समर वैकेशन में करना होगा और एसजीपीओ और सीजीपीए कैलकुलेशन में इसका जिक्र नहीं होगा. ठीक इसी तरह चौथे सेमेस्टर की पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर लेने पर स्टूडेंट को अंडरग्रेजुएट डिप्लोमा सर्टिफिकेट मिलेगा. इसमें भी उसे चारों सेमेस्टर में पूरे क्रेडिट के साथ पूरा करना होगा और वोकेशनल कोर्स का नियम भी प्रभावी होगा. इसी तरह तीसरे वर्ष और चौथे वर्ष की पढ़ाई पूरी कर वह अलग – अलग सर्टिफिकेट हासिल कर सकेगा. विद्यार्थी अगर दो सेमेस्टर के बाद भी कोर्स छोड़ता है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा.
सभी पेपर में पास हैं और 4.5 सीजीपीए अंक तो 0.5 जोड़ा जाएगा
अगर किसी परीक्षार्थी को 4.5 से कम सीजीपीए प्राप्त होता है लेकिन वह सभी पेपरों में पास है और उसने सभी आवश्यक क्रेडिट हासिल कर लिया है तो सीजीपीए में 0.5 जोड़ दिया जाएगा. लेकिन कुल सीजीपीए 4.5 से अधिक नहीं होने चाहिए इसका ख्याल रखना होगा. बैचलर डिग्री हासिल करने के लिए स्टूडेंट को कम से कम 4.5 सीजीपीए आना अनिवार्य है. दूसरी ओर स्नातक में नामांकन लेने वाले छात्र – छात्राओं को पहले से पांचवें सेमेस्टर तक सीजीपीए (सेमेस्टर ग्रेड पॉइंट एवरेज) के आधार पर रिजल्ट जारी किया जाएगा. वहीं छठे सेमेस्टर में इसका प्रारूप पूरी तरह बदल जाएगा. आखिरी सेमेस्टर में फाइनल रिजल्ट सीजीपीए यानी क्युमुलेटिव ग्रेड पॉइंट एवरेज के आधार पर मिलेगा. इसका प्रावधान स्नातक के नए रेगुलेशन-ऑर्डिनेंस में किया गया है.आचरण और उपस्थिति पर मिलेंगे 5 अंक
यूजी में आचरण और उपस्थिति पर भी अंक मिलेंगे. इंटरनल एसेसमेंट के लिए निर्धारित 30 अंकों में से 5 अंक इसके लिए निर्धारित किए गए हैं. दूसरी ओर अगर कोई परीक्षार्थी किसी सेमेस्टर की परीक्षा में फेल कर जाता है तो उसे अधिकतम 5 अंकों का ग्रेस दिया जा सकेगा. नई शिक्षा नीति के तहत 8वें सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर ऑनर्स विद रिसर्च की डिग्री मिलेगी छात्रों को. प्रत्येक साल 2 सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करनी होगी. पहले 2 सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर छात्रों को ग्रेजुएट सर्टिफिकेट के हकदार होंगे. इसके बाद दूसरे साल यानी 4 सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर अंडर ग्रेजुएट डिप्लोमा मिलेगा. इसी तरह तीसरे साल 6 सेमेस्टर की पढ़ाई पूरा करने पर ऑनर्स की डिग्री मिलेगी. वहीं चौथे साल 8वें सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी करने पर छात्रों को ऑनर्स विद रिसर्च की डिग्री दी जाएगी. परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनोद कुमार ओझा ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू होने से स्नातक अब 3 साल की जगह पर 4 साल का होगा. अब सेमेस्टर वार परीक्षा होगी. परीक्षा का रिजल्ट भी अब पहले की तरह डिवीजन में न होकर ग्रेड में होगा. चार वर्षीय स्नातक करने वाले छात्रों को अब थर्ड डिविजन का सामना नहीं करना पड़ेगा. यानी परीक्षा में यदि 45 फीसदी या उससे कम अंक मिलेगा तो फेल माना जाएगा. जबकि पहले ग्रेजुएशन में 45 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को थर्ड डिविजन से पास माना जाता था. 4 वर्षीय स्नातक कोर्स में ऐसा प्रावधान किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है