समस्तीपुर : स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन व्यवस्था के लिए जिले के पंजीकृत निजी विद्यालयों में बाल परिवहन समिति गठित की जायेगी. बता दें कि जिले के पंजीकृत वैसे विद्यालय जिनमें वाहन संचालित हो रहे हैं, उन विद्यालयों में बाल परिवहन समिति गठित करने का आदेश दिया गया है. विद्यालय वाहन परिचालन विनियमन के आलोक में स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक स्कूल में एक बाल परिवहन समिति गठित करना है. बाल परिवहन समिति के अध्यक्ष विद्यालय के प्रधानाध्यापक होंगे. समिति के में दो अभिभावक, शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधि, संबंधित क्षेत्र के यातायात पुलिस निरीक्षक, मोटरयान निरीक्षक, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि, स्कूल बस मालिकों के प्रतिनिधि सभी सदस्य के रूप में नामित होंगे. विद्यालय परिवहन प्रभारी बाल परिवहन समिति के सदस्य सचिव होंगे. समिति की बैठक प्रत्येक तीन माह पर एक बार आयोजित होगी. बता दें कि निजी विद्यालयों से कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है. जिसमें यह भी निर्देश दिया गया है कि सभी वाहनों पर ड्राइवर का नाम, मोबाइल नंबर और बैठने की क्षमता अंकित करनी होगी. इसके अलावा जीपीएस सिस्टम, अग्निशमन की व्यवस्था, फर्स्ट एड किट सहित अन्य बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है. निजी विद्यालय संचालकों से विद्यालय स्तर पर बाल परिवहन समिति का गठन करते हुए रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया है. बाल परिवहन समिति के गठन के बाद प्रत्येक तीन माह पर डीएम की अध्यक्षता में बैठक होगी. परिवहन विभाग स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता के लिए गंभीर है. स्कूल वैन के लिए मानक के अनुसार बस के पीछे सामने स्पष्ट रूप से ऑन स्कूल ड्यूटी प्रदर्शित करनी होगी. सभी वाहनों में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, अग्निशमक यंत्र होना जरूरी है. बिना जीपीएस के कोई स्कूल वैन नहीं चलेगा. शारीरिक रूप से असमर्थ (दिव्यांग) छात्रों के लिए स्कूल बस व अन्य वाहन में ऐसी सुविधा होनी चाहिए कि जिससे उन्हें वाहन में चढ़ने व उतरने में परेशानी नहीं हो. आठ वर्ष तक के नए वाहनों को द्विवार्षिक एवं अन्य सभी स्कूली वाहनों को वार्षिक फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्कूल बस में दो आपातकालीन द्वार होंगे. पहला बस के दाहिनी ओर के पिछले आधे भाग में और दूसरा बस के पीछे की ओर होगा. 14 सीट तक के वाहन के लिए अतिरिक्त आपातकालीन द्वार की आवश्यकता नहीं होगी. विद्यालय प्रबंधन समय-समय पर इनके क्रियाकलाप की समीक्षा करेंगे एवं यह सुनिश्चित करेंगे कि चालक संवाहक एवं परिचालक मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं एवं किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित ना हो. विद्यालय प्रबंधन द्वारा सेमेस्टर शुरू होने से पहले छात्र-छात्राओं के लिए भी सड़क सुरक्षा, अग्नि आपदा प्रबंधन आदि विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना अनिवार्य होगा.
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