Explanation from BEO of ten blocks: समस्तीपुर : जिला के विद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण बनाने व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से विद्यालयों का रोस्टर के मुताबिक निरीक्षण कर रिपोर्ट देना है. बावजूद इसमें कोताही बरती जा रही है. समीक्षा के बाद इस मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने विभूतिपुर, उजियारपुर, समस्तीपुर, कल्याणपुर, शिवाजीनगर, रोसड़ा, पूसा, वारिसनगर, खानपुर, दलसिंहसराय के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण पूछा है. डीपीओ एसएसए ने बताया कि ई शिक्षा कोष पर विद्यालय निरीक्षण के बाद रिपोर्ट अपलोड करना है लेकिन उक्त प्रखंड के बीईओ ने शत-प्रतिशत निरीक्षण नहीं किया. दलसिंहसराय बीईओ ने 98.39,खानपुर ने 99.29, वारिसनगर ने 86.13, पूसा ने 79.79, विभूतिपुर ने 75.57 फीसदी विद्यालय का निरीक्षण किया. इसी तरह रोसड़ा बीईओ ने 75.21,शिवाजीनगर ने 60.56, कल्याणपुर ने 53.24, समस्तीपुर ने 38.38 व उजियारपुर ने 32.67 फीसदी ही विद्यालय का निरीक्षण किया. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कहा कि जिला में स्कूल जांच के लिए रोस्टर तैयार किया गया है. रोस्टर में नामित पदाधिकारी और कर्मी सभी सरकारी प्राथमिक मध्य माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों का तीन माह तक लिए नियमित जांच करेंगे. जांच पदाधिकारी विद्यालय में पर्याप्त समय देंगे. प्रधानाध्यापक के साथ विद्यालय संचालन में आने वाली कठिनाइयों के बारे में चर्चा करते हुए विद्यालय को विकसित करने और बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार करने में सहायता करेंगे. सभी जांच पदाधिकारी प्रत्येक सप्ताह तीन दिन आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे. निरीक्षण के दौरान स्कूलों में उपलब्ध आधारभूत संरचना पर खास नजर रखी जा रही है. इसमें चौक-डस्टर, उपस्कर, शौचालय, पेयजल और वर्गकक्ष की उपलब्धता के साथ प्रयोगशाला, आईसीटी लैब, चहारदीवारी, बिजली व्यवस्था खास तौर पर शामिल है. खेल का मैदान, खेल की सामग्री, इंटरनेट की उपयोगिता एवं सौंदर्यीकरण पर भी गौर किया जा रहा है.
Explanation from BEO of ten blocks:कक्षावार नामांकन और वास्तविक उपस्थिति भी देखी जा रही है.
यह भी देखा जा रहा है कि बच्चों के पास स्कूल ड्रेस और किताबें हैं या नहीं ? बच्चों को गृहकार्य दिये जा रहे हैं या नहीं. बच्चों का साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, छमाही एवं वार्षिक मूल्यांकन हो रहा है या नहीं , यह भी देखा जा रहा है. कक्षावार नामांकन और वास्तविक उपस्थिति भी देखी जा रही है. यह भी देखा जा रहा है कि मिड डे मील में बच्चों को अंडे और फल दिये जा रहे हैं या नहीं ? भोजन में मेनू का पालन हो रहा है या नहीं ? प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों का पदस्थापन एवं उनकी उपस्थिति के साथ इसकी मॉनिटरिंग भी हो रही है कि घण्टीवार-विषयवार पढ़ाई हो रही है या नहीं ? अनामांकित और बीच में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे स्कूल लाये जा रहे हैं या नहीं, इस पर भी फोकस किया जा रहा है.
Explanation from BEO of ten blocks:स्कूल में निर्माण कार्य एजेंसी करेगी
सरकारी विद्यालयों में 50,000 तक का कार्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक के स्तर से कराया जाएगा. इसके अलावा 50000 से अधिक एवं 50 लाख तक का कार्य जिला स्तर से जिला पदाधिकारी के निर्णय अनुसार स्थानीय क्षेत्र इंजीनियरिंग संगठन भवन निर्माण विभाग अथवा अन्य कोई एजेंसी द्वारा कराया जा सकेगा. यह कार्य निविदा के माध्यम से होगा. 50% कार्य होने के बाद तथा कार्य समाप्ति के बाद गुणवत्ता का प्रमाण पत्र संबंधित प्रधानाध्यापक के द्वारा दिया जाएगा. जबकि 50 लाख से अधिक का कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड पटना द्वारा निविदा के माध्यम से कराया जा सकेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है