पूसा : डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विद्यापति सभागार में किसानों की व्यवस्था योग्य जलवायु अनुकूल कृषि पर जीवंत रणनीति बनाने विषय पर कार्यशाला हुई. शुरुआत कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने किया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है. जलवायु में हो रहे में बदलाव से निपटने के लिए हमें किसानों के साथ मिलकर युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत है. किसानों के साथ मिलकर काम करने का अर्थ है कि उनके अनुभव से भी वैज्ञानिक समाधान की तलाश करना. कुलपति ने कहा कि वैज्ञानिकों को बार्ली फसल के उत्पादन से जुड़े शोध करने की जरूरत है. क्योंकि यह फसल पृथ्वी पर सबसे पुराना किये जाने वाले अनाजों में से एक है. इसे बढ़ावा देने की जरूरत है. बिहार सरकार जलवायु अनुकूल खेती पर काफी सक्रिय है. राज्य सरकार के सहयोग से 13 जिलों के लगभग 40,000 किसान जलवायु परिवर्तन अनुसंधान और विस्तार के क्षेत्र में काफी कार्य कर रहे हैं. विश्वविद्यालय से अठारह वैज्ञानिकों को अमेरिका, ब्रिटेन, मेक्सिको, इथियोपिया, जाम्बिया व तुर्की भेजा गया था. वहां से विभिन्न तरह के अनुभव और प्रशिक्षण लेकर लौटे हैं. उम्मीद जतायी कि दुनिया के अन्य देशों के अनुभव से सीख लेकर आने वाले विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भारत में सबसे बेहतर तकनीकों का विकास करेंगे. वैज्ञानिक डॉ सीके झा ने कहा कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे तकनीक है जिनके बारे में विदेशी वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं. निदेशक शिक्षा डॉ उमाकांत बेहरा ने कहा कि वैज्ञानिक विभिन्न देशों में भेजा जा रहा है ताकि वे वहां के अनुसंधान व कृषि के अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल किया जा सके. निदेशक अनुसंधान डॉ एके सिंह ने कहा कि जब वैज्ञानिक दूसरे देशों में चल रहे विभिन्न कृषि के विकास के बारे में जानेंगे तो उनके ज्ञान का विस्तार होगा. निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एमएस कुंडू ने कहा कि विश्वविद्यालय के इतिहास में यह पहली बार है कि अठारह वैज्ञानिकों को विदेशी विश्वविद्यालयों में भेजा गया है. जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के परियोजना निदेशक डॉ रत्नेश झा ने मेक्सिको में प्राप्त अपने अनुभव साझा किये. संचालन डॉ कुमारी अंजनी ने किया. निदेशक बीज डॉ डीके रॉय, निदेशक छात्र कल्याण डॉ रमण त्रिवेदी, डीन बेसिक साइंस डॉ अमरेश चंद्रा, डीन इंजीनियरिंग डॉ अम्बरीष कुमार, डीन कम्युनिटी साइंस डॉ उषा सिंह, अधिष्ठाता डॉ पीपी श्रीवास्तव, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा, डॉ मुकेश श्रीवास्तव, डॉ दिनेश रजक, डॉ दिव्यांशु शेखर, सूचना पदाधिकारी डॉ कुमार राज्यवर्धन, डॉ महेश कुमार थे.
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