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Samastipur News:प्लस टू विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का फायदा उठा रहे कोचिंग वाले

शिक्षा विभाग नीट व जेईई की तैयारी की परख करने के लिए माॅक टेस्ट का आयोजन भी तीन पालियों में कर रहा है.

Coaching Institute: सरकारी प्लस टू विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावे भले ही शिक्षा विभाग कर रहा है. इस बीच, छात्र छात्राएं इन दावों को हवा हवाई बता कोचिंग संस्थान की ओर रूख़ कर रहे हैं. यह शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. समस्तीपुर : शिक्षा विभाग विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए चिंतित तो है लेकिन विषयवार शिक्षकों की कमी दूर करने में असफल रहा है. जिले के 403 प्लस टू विद्यालयों में से अधिकांश में विषयवार शिक्षकों की कमी के कारण छात्र छात्राओं की उपस्थिति 36-52 फीसदी ही है. प्लस टू स्कूलों में पढ़ाई के लिए अनुकूल वातावरण नहीं होने के कारण इन दिनों कोचिंग सेंटरों की भरमार हो गई है. सरकारी प्लस टू विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावे भले ही शिक्षा विभाग कर रहा है. लेकिन, छात्र छात्राएं इन दावों को हवा हवाई बता कोचिंग संस्थान की ओर रूख़ कर रहे हैं. जिले के उजियारपुर प्रखंड स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हसौली कोठी में फिजिक्स, बॉटनी के शिक्षक नहीं हैं. सरायरंजन प्रखंड स्थिति उच्च विद्यालय रूपौली में फिजिक्स, बॉटनी, केमेस्ट्री के शिक्षक नहीं हैं. इसी तरह कल्याणपुर प्रखंड स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय मोरवारा में जियोलॉजी, केमेस्ट्री व मैथ के शिक्षक नहीं हैं. उच्च माध्यमिक विद्यालय तिसवारा सूर्यपुर में फिजिक्स, शहर के तिरहुत एकेडमी में बॉटनी, केमेस्ट्री के शिक्षक नहीं हैं. उच्च माध्यमिक विद्यालय बाजितपुर करनैल केमेस्ट्री, बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय काशीपुर में फिजिक्स, केमेस्ट्री के शिक्षक नहीं हैं. शहर के आरएसबी इंटर स्कूल में एक यूनिट विषयवार शिक्षक हैं लेकिन, छात्रों की संख्या को देखते हुए यहां दो यूनिट विषयवार शिक्षकों की जरूरत है. इसका असर परीक्षा के परिणामों पर भी पड़ता है. यह देख कोचिंग की सहायता लेना छात्रों की मजबूरी बन गयी है. सत्र 2023-25 में जिले के विभिन्न प्लस टू विद्यालयों में विज्ञान संकाय में 29,963 विद्यार्थी पंजीकृत हैं. इसमें छात्राओं की संख्या 13059 व छात्र 16904 सम्मिलित हैं. इससे इतर शिक्षा विभाग नीट व जेईई की तैयारी की परख करने के लिए माॅक टेस्ट का आयोजन भी तीन पालियों में कर रहा है. लेकिन, माॅक टेस्ट में छात्रों के सम्मिलित होने की संख्या काफी कम है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्कूली बच्चों को निजी ट्यूशन और कोचिंग कक्षाओं से दूर करना चाहती है. नीति में लिखा है कि आज की कोचिंग संस्कृति को प्रोत्साहित करने बजाय बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. एनइपी में बोर्ड की परीक्षाओं को और आसान बनाने की भी बात है ताकि छात्र स्कूल की पढ़ाई के दम पर ही बोर्ड की परीक्षा पास कर सकें. लेकिन, जब तक छात्र अनुपात में शिक्षकों की बहाली नहीं होगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिकल्पना करना बेमानी होगा. शिक्षक ही नहीं हैं, तो शिक्षा कौन देगा यह गंभीर विषय है. जब तक शिक्षकों की कमी पूरी नहीं होगी. शिक्षा पटरी पर नहीं लौटेगी. इस विषय पर ही गंभीरता से सोचने के जरूरत है. सरकार की ओर से शिक्षण कार्य को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों की बहाली की गई. लेकिन, इसके बाद भी विद्यालयों में विषयवार शिक्षक नहीं मिल पाये. नतीजा है कि छात्रों को कोचिंग का लेना पड़ रहा है.

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