घने कोहरे के बीच सर्द पछुआ हवा ने बरपाया शीतलहर का कहर
पूस की ठंड अब सताने लगी है. घने कोहरे से दिन में भी अंधेरा छाया रह रहा है. ऊपर से तूफान रफ्तार में बहती सर्द पछुआ हवा वातावरण में शीतलहर को घोल रही है.
समस्तीपुर : पूस की ठंड अब सताने लगी है. घने कोहरे से दिन में भी अंधेरा छाया रह रहा है. ऊपर से तूफान रफ्तार में बहती सर्द पछुआ हवा वातावरण में शीतलहर को घोल रही है. इससे पूरा जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. स्थिति यह है कि मंगलवार को कब सुबह हुई पता नहीं चला. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया सर्द हवा के साथ कोहरा घना होता चला गया. स्थिति थी कि दृश्यता काफी घट गयी. यह डेढ़ से दो सौ मीटर के आसपास पहुंच गया. लोग दिन भी घरों में कैद रहे. सड़कों पर दिनभर उछल-कूद करने वाले बच्चे नजर तक नहीं आ रहे थे. सड़कों पर इक्के-दुक्के वाहन नजर आये. सवारी गाड़ियों का परिचालन नाम मात्र ही रहा. उस पर भी जरूरी काम-काज वाले लोग ही सवार दिखे. लोगों के जमघट से पटा रहने वाला समस्तीपुर कर्पूरी बस पड़ाव और थानेश्वर स्थान मंदिर के पास सन्नाटा पसरा था. अधिकतर दुकानें भी बंद रही. गर्म कपड़े की दुकानों पर भी ग्राहक नाम मात्र ही पहुंचे. शहर के स्टेशन रोड में ऊन व गर्म कपड़ों का व्यवसाय करने वाले अमरनाथ चौधरी ने कहा कि आज के दिन बिक्री नाम मात्र ही रही. यदि इसी तरह का हाल रहा, तो आने वाले समय में निवाले पर भी संकट होगा.
ठंड से बीमार पड़ रहे बच्चे
बताते चलें कि जारी ठंड ने सेहत पर असर डालना शुरू कर दिया है. खास कर बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. कड़ाके की सर्दी के बीच लोग अपने बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इसमें अधिकतर बच्चों में कोल्ड अटैक की शिकायत पायी जा रही है.
पशुपालक किसानों की बढ़ी परेशानी
शीतलहर के कारण पशुपालक किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. उन्हें अपने पशुओं के लिए हरा चारा लाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. पशुपालक पूसा प्रखंड के चंदौली वार्ड 14 निवासी प्रेमलाल पासवान ने बताया कि हरे चारे पर ही उनकी गाय दूध दे पाती है. ऐसे मौसम में हरा चारा का प्रबंध करना चुनौतियों से कम नहीं है. इतना ही नहीं दुधारू पशु ने ठंड की वजह से दूध देना भी कम कर दिया है.आलू उत्पादक किसानों की बढ़ी मुश्किलें
बढते ठंड व शीतलहर के कारण आलू उत्पादक किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी है. पट्टे पर खेत लेकर आलू का फसल लगाने वाले नीरपुर गांव के विंदेश्वर पंडित ने बताया कि आलू भी दो महीने के हो चुके हैं. दाने भी कम ही आये हैं. वह भी बहुत बारीक हैं. अचानक तापमान में आयी गिरावट के कारण पाला लगने का खतरा बढ़ गया है. यदि मौसम का कहर इसी तरह जारी तो आलू फसल में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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