बेसिक लाइफ सपोर्ट तकनीक सीखेंगे कॉलेजों के विद्यार्थी

कॉलेजों के छात्र बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) तकनीक सीखेंगे. यूजीसी ने कॉलेजों को निर्देश दिया है कि छात्र अगर इस तकनीक को सीख लेंगे, तो कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) के समय बचाव को लेकर आगे आ सकते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 4, 2024 11:20 PM

समस्तीपुर : कॉलेजों के छात्र बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) तकनीक सीखेंगे. यूजीसी ने कॉलेजों को निर्देश दिया है कि छात्र अगर इस तकनीक को सीख लेंगे, तो कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) के समय बचाव को लेकर आगे आ सकते हैं. कॉलेजों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार कार्डियक अरेस्ट के समय के 3 से 10 मिनट महत्वपूर्ण होते हैं, मगर 0.1 प्रतिशत लोग ही बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में जानते हैं. यही वजह है कि छात्रों को इसके बारे में प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया है. कॉलेजों में चिकित्सकों के सहयोग से छात्रों और शिक्षकों को ही नहीं, कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित किया जायेगा. कॉलेजों को निर्देश मिला है कि चिकित्सकों से परामर्श कर छात्रों के बीच इसकी कक्षा कराएं, ताकि छात्रों को इसकी जानकारी मिल सके. महिला कॉलेज के प्रधानाचार्या डाॅ. सुनिता सिन्हा ने कहा कि युवाओं समेत हर उम्र के लोगों में सडन कार्डियक अरेस्ट या अचानक मौत के बढ़ते मामले बड़ी चिंता हैं. हंसते-गाते, खेलते-कूदते और सामान्य दिखने वाला शख्स अचानक गिर जाता है और उसकी मौत हो जाती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए कुछ समय पहले सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन की ट्रेनिंग देने का अभियान बड़े स्तर पर शुरू किया. सीखना है जरूरी बच सकती है किसी अपने की जान

प्रख्यात चिकित्सक डा. एके आदित्य ने बताया कि बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) के उपयोग के माध्यम से रोगी के रक्त संचार और श्वसन को सहारा देने के लिए किया जाता है, जब तक कि उन्नत जीवन समर्थन नहीं आ जाता. जिन पीड़ितों को समय पर और सही तरीके से बीएलएस दिया गया है, उन्हें बेहतर ऑक्सीजन मिलेगी और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए उन्नत तकनीकों पर प्रतिक्रिया करने की अधिक संभावना है, जिससे उनके बचने की संभावना बढ़ जाती है. सीपीआर एक जीवनरक्षक तकनीक है. इसका उद्देश्य शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बनाए रखना है, जब किसी व्यक्ति का दिल और सांस रुक गई हो. कार्डियक अरेस्ट चिकित्सा सुविधाओं के अलावा अप्रत्याशित स्थानों पर होता है. सीपीआर उन लोगों के लिए है जिन्हें हृदयाघात हुआ हो. अगर हम सभी बेसिक लाइफ सपोर्ट को अच्छे से सीख लें तो हम गंभीर सिचुएशन में इसके जरिये किसी की जान को बचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि प्लस को गर्दन के पास से चेक करना है. अगर प्लस का पता 5 सेकंड में नहीं चल पा रहा है तो आपको चेस्ट कंप्रेशन देना शुरू करना है. अगर आप चेस्ट कंप्रेशन दे रहें हैं तो आपको अपने हाथ बिलकुल सीधे रखने हैं. छाती के सेंटर में हाथों को एक दूसरे के ऊपर रखना है और फिर हार्ट को कंप्रेशन देना है. बताया कि 100 बार कंप्रेशन देना है. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि अब किस तरह से पता चलेगा कि आप सही कंप्रेशन दे रहे हैं. उसके लिए आपको खुद ही काउंट करना है. सीपीआर के लिए कंप्रेशन देने के बाद मुंह से पेशेंट को सांस देना है. ये पूरा राउंड आपको 5 बार करना है और 1 बार में 20 बार कंप्रेशन देना है. 100 बार टोटल देना है. इसके बाद अगर पेशेंट कॉशस है और उसको सांस आ रहा है. लेकिन वो सांस बहुत एफर्ट्स से ले रहा है, तो उस स्थिति में आपको रिकवरी पोस्चर में पेशेंट को लेटाना है. रिकवरी पोस्चर का मतलब है कि उस समय पेशेंट को लेफ्ट या फिर राइट साइड में लेटा देना हैं. इससे उसे आराम मिलेगा.

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