चना के अनुशंसित किस्मों की बोआई किसान अतिशीघ्र संपन्न

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के द्वारा जारी समसामयिक सुझाव के मुताबिक किसान चना की अनुशंसित किस्मों की बाेआई अतिशीघ्र सम्पन्न करने का प्रयास करें.

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2024 11:00 PM
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समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के द्वारा जारी समसामयिक सुझाव के मुताबिक किसान चना की अनुशंसित किस्मों की बाेआई अतिशीघ्र सम्पन्न करने का प्रयास करें. विलंब होने पर इसकी उत्पादकता प्रभावित हो सकती है. उत्तर बिहार के लिए चना की उन्नत किस्में पूसा-256, केपीजी-59 (उदय), केडब्लूआर-108, पंत जी-186 तथा पूसा-372 अनुशंसित हैं. बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. 24 घंटे बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव के लिए क्लोरपाईरीफॉस आठ मिली प्रति किलोग्राम की दर से मिलाएं. पुन: 4 से 5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबियम कल्चर (पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बोआई करें. किसान सिंचित एवं समयकालीन किस्मों के गेहूं की बोआई 10 दिसम्बर तक अवश्य संपन्न कर लें. उत्तर बिहार के लिए सिंचित एवं समयकालीन गेहूं की सीबीडब्लू-38, डीबीडब्लू-39, डीबीडब्लू-187, एचडी-2733, एचयूडब्लू-465, एचडी-2967, एचडी-2824 तथा एचयूडब्लू-468 किस्में अनुशंसित है. बीज को बोआई से पहले बेबस्टीन 2.5 ग्राम की दर से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें. दीमक से बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा का 8 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. छिटकबां विधि से बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 125 किलोग्राम तथा सीड ड्रील से पंक्ति में बाेआई के लिए 100 किलोग्राम बीज का व्यवहार करें. बोआई पूर्व खेत में 150-200 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. किसान10 दिसम्बर के बाद गेहूं की पिछात किस्मों की बोआई करें. उत्तर बिहार के लिए गेहूं की पिछात किस्में पीबीडब्लू- 373, एचडी- 2285, एचडी- 2643, एचयूडब्लू- 234, डब्लूआर-544, डीबीडब्लू-14, एनडब्लू- 2036, एचडी- 2967 तथा एचडब्लू- 2045 अनुशंसित है. वहीं किसान गन्ना की रोपाई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें. इसके लिए सीओपी-9301, सीओपी-2061, सीओपी-112, बीओ-91, बीओ- 153 एवं बीओ- 154 किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित हैं. कार्बेंडाजिम दवा के 01 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर गन्ना के गेड़ियों को 10-15 मिनट तक उपचारित कर रोपाई करें. दीमक, कल्ला तथा जड़ छिद्रक कीट से बचाव हेतु बीज को क्लोरपाइरिफॉस- 20 इसी का 5 लीटर प्रति हेक्टेयर रोपनी के समय पोरियों पर सिराउर में छिड़काव करें. रबी प्याज की रोपाई के लिए खेत की तैयारी करें. खेत की जुताई में 15 से 20 टन गोबर की खाद, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 80 किलोग्राम फॉस्फोरस, 80 किलोग्राम पोटाश तथा 40 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर का व्यवहार करें. जिन किसान का प्याज का पौध 50-55 दिनों का हो गया हो वें छोटी-छोटी क्यारियां बनाकर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी, पौध से पौध की दूरी 10 सेमी पर रोपाई करें. क्यारियों का आकार, चौड़ाई 1.5 से 2.0 मीटर तथा लंबाई सुविधानुसार 3-5 मीटर रखें. पिछात प्याज की पौधशाला से प्रत्येक 10 से 12 दिनों के अन्तराल में खरपतवार निकाल कर हल्की सिंचाई करें. लहसुन की फसल में निकाई-गुराई करें तथा कम अवधि के अन्तराल में नियमित रूप से सिंचाई करें. लहसुन में कीट-व्याधि की निगरानी करें. अगात बोयी गयी मक्का की फसल में निकौनी एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. आलू में ंनिकौनी कर मिट्टी चढ़ाने एवं सिंचाई का काम करें. बैगन की फसल में तना एवं फल छेदक कीट की निगरानी करें. कीट से बचाव के लिए ग्रसित तना एवं फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें, यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड 48 इसी प्रति 01 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. सब्जियों वाली फसल में निकौनी एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. बैगन की फसल में तना एवं फल छेदक कीट की निगरानी करें. बचाव हेतु ग्रसित तना एवं फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें, यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड 48 इसी प्रति 01 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

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