जेल से बाहर निकल अच्छा नागरिक बनकर विकास में योगदान दें : एडीजे
बंदियों के मानव एवं मौलिक अधिकारों के लिए कारा अधिनियम 1894 के अन्तर्गत विभिन्न अधिकार दिये गये हैं.
दलसिंहसराय : बंदियों के मानव एवं मौलिक अधिकारों के लिए कारा अधिनियम 1894 के अन्तर्गत विभिन्न अधिकार दिये गये हैं. जिसमें अभिरक्षा में रखने की सूचना का अधिकार, अधिवक्ता से परामर्श या न्यायालय में बचाव पक्ष रखने के लिए अपनी पसंद का अधिवक्ता रखना एवं विधिक सेवा संस्थाओं तक पहुंच स्थापित करना है. उक्त बातें अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स ह अनुमंडल विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष शशिकांत राय ने उपकारा दलसिंहसराय में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने आगे कहा कि सभी बंदियों को उनके मान-सम्मान की रक्षा करना अतिआवश्यक है. साथ ही साथ सभी बंदियों के साथ समानता का व्यवहार करना है और उन्हें जाति, धर्म, लिंग, भाषा और जन्म स्थान इत्यादि से विभेद नहीं किया जायेगा. चिकित्सकों के द्वारा चिकित्सीय जांच कराना, बंदियों के स्वास्थ्य को समय-समय पर जांच करना आवश्यक है. महिला बंदियों को कारावास के दौरान इनकी देखभाल महिला चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा किया जाना और सिविल सर्जन द्वारा प्रत्येक सप्ताह कारा में एक महिला चिकित्सा पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जानी आवश्यक है. महिला बंदियों के साथ संसीमित नाबालिग बच्चों के शारीरिक वृद्धि के लिए भी चिकित्सीय जांच की जानी चाहिए. बच्चों को वस्त्र भोजन एवं स्वास्थ्य उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है. मानवाधिकार के अवसर पर यह भी बताया गया कि सबको शिक्षा का अधिकार है. पैनल अधिवक्ता सह अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार पोद्दार समीर, महासचिव प्रभात कुमार चौधरी, अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह, काराधीक्षक त्रिभुवन सिंह, जेलर अरुण कुमार, पीएलबी सुभाष कुमार आदि ने संबोधित किया. दूसरी ओर सीएच स्कूल के प्रांगण में भी पैनल अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह, पीएलवी जितेन्द्र कुमार सिंह ने छात्र छात्राओं को मानवाधिकार दिवस के अवसर पर अपने मौलिक अधिकार एवं कर्तव्यों को के बारे में जानकारी दी. मौके पर प्रभारी प्रधानाध्यापक संतोष कुमार समेत आदि थे.
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