समस्तीपुर : एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना रूपी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है. लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए तरह तरह के प्रबंध किए जा रहे हैं. अधिकतर राज्यों में लॉकडाउन लगाये गए हैं, आम लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग अपने ही कर्मियों की जान से खिलवाड़ करता दिख रहा है.
इसका जीता जागता उदाहरण मंगलवार की दोपहर शहर के बाइपास रोड में स्थित मोक्षधाम में देखने को मिला. जहां सरायरंजन के कोरोना संक्रमित एक मरीज के शव को अंतिम संस्कार के लिए शव वाहन पर लाया गया था. पोलीथिन में बंद उस शव को शव वाहन पर रखने फिर मोक्षधाम में गाड़ी से उतारकर उसका दाह संस्कार कराने की जिम्मेदारी पोस्टमार्टम करने वाले एक चतुर्थवर्गीय कर्मी एवं एक निजी सफाईकर्मी को सौंपी गयी थी. लेकिन उन दोनों को पीपीइ किट तो बहुत दूर न तो ग्लब्स दिया गया था और न ही मास्क.
बिना ग्लब्स और बिना मास्क के ही दोनों कर्मियों ने संक्रमित मरीज के शव का दाह संस्कार कराया. आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि उस समय स्वास्थ्य प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन के भी कई अधिकारी मौजूद थे. लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान देना उचित नहीं समझा.
इसे जिला प्रशासन की अनदेखी का नतीजा नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे. जिस स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी ( सिविल सर्जन ) के साथ साथ कई डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी आज कोरोना संक्रमण का शिकार हो कर जीवन और मौत से जूझ रहे हैं.
वही विभाग इतना कुछ होने के बावजूद लापरवाही बरत रही है. वैसे तो अक्सर स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन अपनी लापरवाही को लेकर चर्चा में रहती है. लेकिन अधिकतर मामलों में नुकसान आमलोगों को ही उठाते हुए देखा जाता है, लेकिन लापरवाही अब इस कदर हावी हो चुका है कि उसके जद में स्वयं स्वास्थ्यकर्मी आ रहे हैं.
posted by ashish jha