पारिस्थितिकी के अनुरूप करें दलहन की खेती . डॉ. रामसुरेश
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में दलहनी में पोषण, गुणवत्ता, प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ.
पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में दलहनी में पोषण, गुणवत्ता, प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ. अध्यक्षता करते हुए सीएईटी डीन डॉ. रामसुरेश ने कहा कि देश में दालों की बढ़ती खपत की पूर्ति के लिए इन फसलों का उत्पादन लगभग 28.83 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर क्षेत्रीय पसंद व कृषि पारिस्थितिकी के अनुरूप किया जाता है. जनसंख्या वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए देश में वर्ष 2030 तक दलहन की मांग 32 मिलियन टन तथा वर्ष 2050 तक 39 मिलियन टन होने का अनुमान है. इस मांग वृद्धि को पूरा करने के लिए अनुसंधान के अग्रणी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण के साथ-साथ अनुसंधान, प्रौद्योगिकी उत्पादन, प्रसार तथा व्यवसायीकरण में एक एकीकृत कार्य प्रणाली की आवश्यकता है. दलहनी फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण में उपयोग होने वाले यंत्रों का चुनाव करने की जरूरत है. प्रसार शिक्षा निदेशक सह डीन पीजीसीए डॉ. मयंक राय ने भी किसानों को दलहनी फसल के उत्पादन सहित समुचित बाजार के विषय में विस्तार से बताया. संचालन वैज्ञानिक सह प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डॉ. विनिता सतपथी ने की. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डॉ. फूलचंद ने किया. मौके पर सुरेश कुमार, सूरज कुमार सहित प्रतिभागी मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है