मृत्यु भोज बहुत बड़ा अभिशाप, इसे समाप्त करने के लिए उठाएं कठोर कदम
मृत्युभोज अभिशाप है. इस कुरीति को जड़ से समाप्त करने की जरूरत है. इसमें तमाम लोगों को एकजुट होकर शरीक होने की जरूरत है.
वारिसनगर : मृत्युभोज अभिशाप है. इस कुरीति को जड़ से समाप्त करने की जरूरत है. इसमें तमाम लोगों को एकजुट होकर शरीक होने की जरूरत है. यह बात समाजसेवियों ने कही. मौका था प्रखंड की मोहिउद्दीनपुर पंचायत अंतर्गत एकद्वारी गांव में बुधवार को गांव के राजू पासवान के युवा पुत्र राकेश कुमार के असामयिक निधन के पश्चात श्राद्धकर्म पर आयोजित मृत्युभोज से जुड़ी सामाजिक बैठक का. इसकी अध्यक्षता पंचायत के सरपंच पति सह समाजसेवी अमर पासवान ने की. संचालन पंचशील से जुड़े रामबाबू राम ने किया. वक्ताओं ने बताया कि कैसे सदियों से चली आ रही इस कुरीति के चलते कितने गरीब परिवारों का आशियाना तक बिक गया. जमीन व जायजाद बिक गयीं. कई पीढ़ियां गरीबी की दलदल में फंसती चली गयी. लेकिन, मृत्यु भोज से किसी भी समाज के परिवार का उद्धार नहीं हो सका. वक्ताओं ने कहा कि मृत्यु पश्चात जाति व सामाजिक लोगों के दबाव में आकर लोग अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई व जमीन से लेकर घर तक बेच देते हैं. बुद्धजीवियों ने एकमत होकर इस भोज को समाप्त करने का संकल्प लिया. ताकि इसके बदले अपने परिवारों के स्वास्थ्य व बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में उन्हें पैसों की कठिनाइयां न झेलनी पड़े. वक्ताओं ने गांव व इलाके के तमाम लोगों को इस मुहिम में साथ देने व आगे बढ़ने की अपील की. मौके पर हरेराम सहनी, शत्रुघ्न पासवान, चंदन सहनी, सुरेश पासवान, प्रदीप राम, मनोज पासवान, चंदन पासवान, शंभु पासवान, प्रेम पासवान, अशोक पासवान, धनेश्वर पासवान, श्रवण पासवान, जयलाल पासवान, दीपक, सोनू आदि थे.
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