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किसान अगात व मध्यम अवधि वाले धान की छिटकावां विधि से सीधी बोआई करें

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा मौसम को देखते हुए किसानों के लिए सुझाव जारी किया गया हैं. कहा गया है कि किसान अगात और मध्यम धान की किस्में, जिनकी सीधी बुवाई करना चाहतें हैं, छिटकावां विधि से बोआई कर सकते हैं.

समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा मौसम को देखते हुए किसानों के लिए सुझाव जारी किया गया हैं. कहा गया है कि किसान अगात और मध्यम धान की किस्में, जिनकी सीधी बुवाई करना चाहतें हैं, छिटकावां विधि से बोआई कर सकते हैं. इसके लिए किसानों के पास सिंचाई की समुचित उपलब्ध होनी चाहिए. यदि खेत सूखा है, तो सीड ड्रील मशीन से या छिटकावां विधि से बोआई कर सकते हैं. सूखे खेत में सीधी बोआई करने पर बोआई के 48 घंटे के अंदर खरपतवारनाशी दवा पेन्डिमेथीलीन 1.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. यदि बोआई के बाद बारिश शुरू हो जाती है तो पेन्डिमेथीलीन दवा का छिड़काव नहीं करें. वैसी हालत में बोआई 10-15 दिनों के बीच में नामिनी गोल्ड (बिसपेरिबेक सोडियम 10: एससी) दवा का 100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना नहीं भूलें. किसान तिल की बोआई करें. कृष्णा कांके सफेद, कालिका और प्रगति तिल की अनुशंसित किस्में हैं. बोआई के समय प्रति हेक्टेयर 50 से 60 क्विंटल कम्पोस्ट, 20 किलो नेत्रजन, 20 किलो स्फुर व 20 किलो पोटाश का व्यवहार करें. बीज दर 4 किग्रा प्रति हेक्टेयर तथा कतार से कतार एवं पौध से पौध की दूरी 30 सेमी गुणा 10 सेमी रखें. 2.0 ग्राम थीरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर बोआई करें. अरहर की बोआई के लिए खेत की तैयारी करें. बोआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो स्फुर, 20 किलो पोटाश व 20 किलो सल्फर का व्यवहार करें. बहार, पूसा 9, नरेद्र अरहर-1, मालवीय-13, राजेन्द्र अरहर-1 आदि किस्में बोआई के लिए अनुशंसित है. बरसाती भिंडी फसल लगाने के लिए समय अनुकूल है. इसके लिये अर्का अभय, पंत भिंडी-1, काशी लीला किस्में उपयुक्त है. इस फसल में मौजेक एवं फल छेदक कीट काफी नुकसान पहुंचाते हैं. रोकथाम के लिए मैलाथियान दवा का 2 से 2.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें. खरीफ मौसम की सब्जियां कद्दू, नेनुआ, झींगली, खीरा की बोआई किसान कर सकते हैं. लेकिन, किसान अपने खेत में उचित नमी बनाकर ही बोआई करें. किसान मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही खाद का प्रयोग करें. मिट्टी परीक्षण नहीं होने की स्थिति में प्रति हेक्टेयर 20-25 टन सड़े हुए गोबर की खाद का प्रयोग करें. प्रति हेक्टेयर 60 किलोग्राम नेत्रजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 40 किलोग्राम स्फुर का उपयोग करें. फसल तीन मीटर गुणा एक मीटर की दूरी पर लगाएं. प्रति थाल 2-3 मीटर बीच पर बोयें. खरीफ मक्का की सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेन्द्र संकर मक्का-3, गंगा-11 किस्मों की बोआई अतिशीघ्र संपन्न करें. खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद, 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाश का व्यवहार करें. इसके लिए प्रति किग्रा बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारित कर बोआई करें. बीज दर 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर रखें.

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