तना छेदक कीट के प्रकोप से धान के पौधों में बालियां खोखली रह जाती

इन दिनों धान व मक्के की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप बढ़ गया है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा किसानों के लिये इसको लेकर सुझाव जारी किया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 25, 2024 10:31 PM

समस्तीपुर : इन दिनों धान व मक्के की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप बढ़ गया है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा किसानों के लिये इसको लेकर सुझाव जारी किया गया है. कहा गया कि नियमित रूप से अपने खेतों की लगी धान व मक्का की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी करें. इसका ससमय समुचित उपचार जरूरी है. तना छेदक कीट के प्रकोप अधिक होने पर उजप पर प्रतिकूल असर पड़ता है. कहा गया है कि धान की फसल में तना छेदक कीट सूड़ियां तनों में घुसकर क्षति पहुंचाती है. प्रारंभिक अवस्था में पौधें की मध्य कलिका मुरझाकर सुखी हुई नजर आती है. ऐसे पौधों में बालियां सुखी एवं खोखली रह जाती है. इसे अगर पकड़कर खींचा जाए तो वह आसानी से बाहर निकल आती है. इस प्रकार का लक्षण दिखने पर बचाव के लिए करताप हाईड्रोक्लारेाईड दानेदार दवा का 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से व्यवहार करें. धान की 25-30 दिनों की फसल में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन का उपरिवेशन करें. अगात धान की फसल में खैरा बीमारी दिखाई पड़ने पर खेतों जिंक सल्फेट 5.0 किलोग्राम तथा 2.5 किलोग्राम बूझा चूना का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिडक़ाव आसमान साफ रहने पर करें. पिछात रोपी गई धान की फसल में खरपतवार नियंत्रंण के कार्य को प्राथमिकता दें. किसान मक्का की खड़ी फसल में तना छेदक कीट की निगरानी करें. बचाव के लिए कार्बाफ्यूरान (3 जी) का 7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पौधें के गाभ गाभा में डालें.

फूलगोभी की अगात किस्मों की किसान रोपाई संपन्न करें

फूलगोभी की अगात किस्में कुंआरी, पटना अर्ली, पूसा कतकी, हाजीपुरी अगात, पूसा दीपाली की रोपाइ समाप्त करें. बाेरान तथा मॉलिब्डेनम तत्व की कमी वाले खेत में 10-15 किलोग्राम बाेरेक्स तथा 1 से 2 किलोग्राम अमोनियम मालिब्डेट का व्यवहार खेत की तैयारी के समय करें. फूलगोभी की मध्यकालीन किस्में अगहनी, पूसी, पटना मेन, पूसा सिन्थेटिक-1, पूसा शुभ्रा, पूसा शरद, पूसा मेघना, काशी कुवांरी एवं अर्ली स्नोबॉल किस्मों की बोआई नर्सरी में उथली क्यारियों में पक्तिंयों में गिरायें. पौधशाला को तेज धूप अथवा वर्षा से बचाने के लिए 40 प्रतिशत छायादार नेट से 6 से 7 फीट की ऊंचाई पर ढकने की व्यवस्था करें.

किसान परवल की रोपाई करें

परवल की राजेन्द्र परवल-1, राजेन्द्र परवल-2, एफपी-1, एफपी-3, स्वर्ण रेखा, स्वर्ण अलौकिक, आईआईभीआर-1 आदि किस्मों की रोपनी करें. बीज दर 2500 गुच्छियां प्रति हेक्टयेर तथा लगाने की दूरी 2 गुणा 2 मीटर रखें. परवल की रोपाइ के लिये प्रति गड्ढ़ा कम्पोस्ट 3 से 5 किलोग्राम, नीम या अंडी की खल्ली 250 ग्राम, एसएसपी 100 ग्राम, म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 ग्राम एवं थिमेट 10 से 15 ग्राम का व्यवहार करें.

ऊंचास जमीन में सितंबर अरहर की करें बोआई

ऊंचास जमीन में 25 अगस्त के बाद सितम्बर अरहर की बोआई सकते हैं. बोआई के समय प्रति हेक्टयेर 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फुर, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें. अरहर की पूसा-9 तथा शरद प्रभेद उत्तर बिहार के लिये अनुशंसित है. बोआई के लिये 24 घंटे पूर्व 2.5 ग्राम थीरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. बोआई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बोआई करनी चाहिए.

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