पूसा. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विद्यापति सभागार में गुरुवार को लीची महोत्सव का आयोजन किया गया. अतिथियों ने दीप जलाकर इसका शुभारंभ किया. मुख्य अतिथि पूर्व उपमहानिदेशक हाॅर्टिकल्चर डॉ एनके कृष्ण कुमार ने कहा कि लीची उत्पादक किसानों को फसल का सही दाम मिले इसको लेकर भी प्रयास करने की जरूरत है. अनार उत्पादक संघ और अंगूर उत्पादक संघ की तरह लीची उत्पादक सहकारी समितियों को बनाने पर जोर दिया. कहा कि इस तरह की समितियों के साथ सरकार को भी मिल बैठकर विचार करना चाहिए ताकि किसानों की समस्याओं को दूर किया जा सके. उन्होंने कहा कि लीची उत्पादन एवं स्वाद जलवायु व क्षेत्र के भौगोलिक बनावट निर्भर करता है. कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने कहा कि लीची बिहार की शान है. इस क्षेत्र का जलवायु एवं मिट्टी लीची फल के लिए अनुकूल है. इसके कारण स्वाद से भरपूर है. ऐसा गुण अन्य राज्यों की लीची में नहीं होता है. जिसके कारण मुजफ्फरपुर की लीची प्रसिद्ध है. लीची खेत से लेकर थाली तक पहुंचता है. इसमें किसानों की भूमिका अहम है. लीची के फलों को किस तरह के पैकेजिंग कर सुरक्षित रखा जा सकता है इससे जुड़े शोध करने की जरूरत पर बल दिया. डॉ पांडेय ने लीची के प्रभेदों की पहचान कर प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन से जुड़ी बातों को रखा. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ विकास दास ने कहा कि कृषक उत्पादक समूह से जुड़कर लीची का विपणन कर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. स्नातकोत्तर कृषि महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ मयंक राय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कुलपति के अगुवाई में दूसरी बार लीची महोत्सव मनाया जा रहा है. पूर्व प्रो डॉ पीके राय ने लीची की उत्पत्ति से जुड़ी बातों को रखा. संचालन शिवानी तिवारी एवं शांभवी कुमारी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ उदित कुमार ने किया. निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एमएस कुंडू, डॉ रमण त्रिवेदी, डॉ डीके रॉय, अधिष्ठाता डॉ अंवरीश कुमार, डॉ उषा सिंह, कुलसचिव डॉ मृत्युंजय कुमार,प्रगतिशील किसान सुधांशु कुमार, सुधीर कुमार थे.
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