विद्यापतिनगर : प्रखंड क्षेत्र में अतिक्रमण नासूर बना है. हाट,बाजार,नदी नाले अतिक्रमण से सिमट चुके हैं. रेलवे लाइने, प्लेटफॉर्म, परिसर, सड़कें व सरकारी रास्ते, स्कूल व उनके खेल मैदान पर अस्थायी व स्थायी निर्माण कराया जा चुका है. वर्षों से ही अतिक्रमण खाली कराये जाने की मांग पदाधिकारी के कार्यालय में धूल धूसरित है. ऐसे में चर्चा-ए-बाजार है कि अतिक्रमण हटाये जाने के लिए यहां अधिकारी उग्र आंदोलन का इंतजार का इंतजार कर रहे हैं. बताया जाता है कि वर्ष 1994 में विद्यापतिनगर को प्रखंड के दर्जा प्राप्त हुआ. अलग प्रखंड की मांग जब पूरी हुई तब क्षेत्र के कायाकल्प के सपने साकार होने की बात छिड़ी. प्रशासनिक अनसुनी का दौड़ यूं चला कि पूर्व का जख्म बढ़ता गया. जो अब लाइलाज प्रतीत हो रहा है. वर्षों से ही प्रखंड की सड़कें अतिक्रमित हैं. सड़क की खाली जमीन पर कच्चे पक्के मकान बन चुके हैं. फलस्वरूप सड़क में फुटपाथ नजर नहीं आता. पैदल चलने की दुश्वारियां उत्पन्न हुई हैं. बड़े बुजुर्ग मॉर्निंगवाक, इविनिंगवाक को तरस रहे हैं. अतिक्रमण से हाट बाजार में खरीदारी मुश्किलों से भरा कदम होता है. इतना ही नहीं नजर उठाकर देखिए. नदी नाले भी अतिक्रमण से अछूता नहीं है. पदाधिकारियों के आचरण यहां भी लोगों के सपने को तार-तार कर गए हैं. सांस्कृतिक, धार्मिक, पौराणिक परंपरा का निर्वहन भी अब नदी के तट पर असंभव प्रतीत होने लगा है. प्रखंड क्षेत्र में पड़ने वाली रेल की जमीन भी इसकी चपेट में पीड़ादायी बनी है. रेलवे विभाग का भी इस ओर दम टूट रहा है. बार-बार अतिक्रमित भूमि खाली कराये जाने के बावजूद तू चल मैं आया वाली किवदंतियां अतिक्रमणकारी के रवैये को ताजा कर रही है. अतिक्रमण खाली कराने को लेकर वर्षों से ही राजनीतिक पत्राचार व आवेदन अंचल कार्यालय के रवैये को दर्शाता है. प्रखंड क्षेत्र के मऊ बाजार,बाजिदपुर बाजार बजरंगचौक से विद्यापति स्मारक की सड़क अतिक्रमण से पहचान खोने लगी है. अंचल अधिकारी कुमार हर्ष ने बताया कि कुछ जगह अतिक्रमण वाली सड़क की पैमाइश करवाई जाएगी. यह प्रक्रिया में है. पैमाइश के बाद संबंधित को नोटिस जारी कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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