The evening was enthralled with Taal Kachari, dance, music and singing in the court of Baba Thaneshwar Mahadev. बाबा थानेश्वर महादेव के दरबार में ताल कचहरी, नृत्य, संगीत व गायन से मोहक हुई शाम, युवा कलाश्रम की ओर से आयोजित चार दिवसीय बाबा थानेश्वर नृत्य महोत्सव के अवसर पर शहर के थानेश्वर स्थान महादेव मंदिर में ताल कचहरी का आयोजन
The evening was enthralled with Taal Kachari, dance, music and singing in the court of Baba Thaneshwar Mahadev. समस्तीपुर: युवा कलाश्रम की ओर से आयोजित चार दिवसीय बाबा थानेश्वर नृत्य महोत्सव के अवसर पर शुक्रवार को दूसरे दिन बाबा थानेश्वर महादेव के दरबार में नृत्य संगीत की महफिल सजी. इसमें युवा कलाश्रम के स्थानीय बच्चों के अलावे लोकगीत के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी. युवा कलाश्रम के बच्चों ने शास्त्रीय संगीत पर कथक नृत्य प्रस्तुत करते हुए दर्शकों का मन मोह लिया. सुप्रसिद्घ लोकगायिका वैष्णवी एकता ने अपने सुरीली आवाज में विद्यापति और भिखारी ठाकुर की रचनाओं पर आधारित लोकगीतों की ऐसी बयार बहायी कि श्रोता दर्शक देर शाम तक आनंदित होते रहे. कलाकारों की हर प्रस्तुतियों पर मंदिर परिसर तालियाें से गूंज उठता. शुक्रवार को बाबा थानेश्वर स्थान महादेव मंदिर में संध्या पूजन और आरती के बाद गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इसके बाद युवा कलाश्रम के बच्चों ने शास्त्रीय संगीत पर कथक नृत्य प्रस्तुत किया. सुप्रसिद्ध गायिका वैष्णवी एकता व साथियों ने अपनी सुरीली आवाज में पारंपरिक लोकगीतों के माध्यम से माटी की सुगंध फैलाई.Samastipur News:The evening was enthralled with Taal Kachari, dance, music and singing in the court of Baba Thaneshwar Mahadev. दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया.
दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया. देर शाम तक एक के बाद एक पारंपरिक लोकगीत प्रस्तुत किया. शास्त्रीय संगीत पर बच्चों ने नृत्य प्रस्तुत कर खूब वाहवाही बटोरी. हर प्रस्तुति पर दर्शकों ने तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया. नृत्य, संगीत, गायन, वादन का सिलसिला देर रात तक चलता रहा. सखियाें की हर प्रस्तुति पर दर्शक मंत्रमुग्ध हुए. कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मण कुमार ने बताया कि युवा कलाश्रम की ओर से जिला मुख्यालय में पहली बार बाबा थानेश्वर नृत्य महोत्सव का चार दिवसीय आयोजन किया जा रहा है. उद्देश्य जिले में विलुप्त कला और संस्कृति को नया आयाम देना और मिथिला की संस्कृति, परंपरा और पर्यटन को मजबूत बनाना है. मौके पर शिव शंकर महतो, शंकर प्रसाद साह, महेश प्रसाद सिंह, चंदन कुमार समेत काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
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