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RPCAUniversity, Pusa, Samastipur: climate friendly agriculture किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि अपनाने की जरूरत : डीन

प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे विवि के कृषि अभियंत्रण विभाग के डीन डॉ. अम्बरीष कुमार एवं विवि के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एमएस कुंडू ने संयुक्त रूप से किया.

climate friendly agriculture: RPCAUniversity, Pusa, Samastipur: डॉ. एमएस कुंडू ने कहा की जलवायु अनुकूल कृषि के क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करना, जैविक अपशिष्ट पदार्थों से जैव ऊर्जा बनाना, स्थानीय या देसी नस्लों के पशु और मुर्गियों का पालन करना, रिमोट सेंसिंग और ड्रोन तकनीकों का इस्तेमाल करना आदि अत्यंत ही लाभकारी है.

पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में जलवायु अनुकूल कृषि के विषय पर किसानों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे विवि के कृषि अभियंत्रण विभाग के डीन डॉ. अम्बरीष कुमार एवं विवि के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एमएस कुंडू ने संयुक्त रूप से किया. इस अवसर पर मौजूद प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. अम्बरीष कुमार ने कहा की मौजूदा समय में जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाना किसानों के लिए बेहद जरूरी है.

climate friendly agriculture: RPCAUniversity, Pusa, Samastipur:जलवायु अनुकूल कृषि से मिट्टी में कार्बन अवशोषण बढ़ता

जलवायु अनुकूल कृषि को अपनाने से किसानों को कई तरह का फायदा मिलता है. जलवायु अनुकूल कृषि खेतों की मिट्टी में सुधार लाने, जैव विविधता में वृद्धि करने, फसल उत्पादन में आर्थिक जोखिम को कम करने, किसानों की आय में वृद्धि करने, ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने आदि में सहायक है. उन्होंने कहा की जलवायु अनुकूल कृषि से मिट्टी में कार्बन अवशोषण बढ़ता है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है. डॉ. एमएस कुंडू ने कहा की जलवायु अनुकूल कृषि के क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करना, जैविक अपशिष्ट पदार्थों से जैव ऊर्जा बनाना, स्थानीय या देसी नस्लों के पशु और मुर्गियों का पालन करना, रिमोट सेंसिंग और ड्रोन तकनीकों का इस्तेमाल करना आदि अत्यंत ही लाभकारी है.

climate friendly agriculture: RPCAUniversity, Pusa, Samastipur:कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील

उन्होंने कहा की जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियां किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसे बाढ़, सुखाड़ और मौसमीय बदलाव व पैटर्न के अनुकूल ढलने में मदद कर सकती है. डॉ. अनुपमा ने कहा कि कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. निरंतर बढ़ता जा रहा उच्च तापमान वांछनीय फसलों की पैदावार को कम करने के साथ-साथ घास-पात एवं विनाशकारी कीट को भी प्रोत्साहित करने काम करता है. मौके पर विवि कर्मियों के अलावे करीब 3 दर्जन से अधिक प्रशिक्षणार्थी मौजूद थे.

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