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किसानों को छोटा वैज्ञानिक बनने की जरूरत : डा सुरेश

गन्ना उत्पादन, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन विषय पर बिहार के 10 जिले के 50 किसानों के बीच सात दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ.

पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ईख अनुसंधान संस्थान के सभागार में बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत गन्ना उत्पादन, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन विषय पर बिहार के 10 जिले के 50 किसानों के बीच सात दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ. अध्यक्षता करते हुए कृषि अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ राम सुरेश ने कहा कि गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीक एवं नवीनतम उन्नतशील बीज के प्रभेदों को समाहित करने की जरूरत है. डीन डा सुरेश ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की दौर में गन्ना की खेती अति आवश्यक हो गई है. समय परिवर्तनशील है. आज जो है वह कल नहीं रहेगा. परंपरागत गन्ने की खेती के तकनीकों को छोड़ कर वैज्ञानिकी विधि को अपनाने की आवश्यकता है. कम लागत में गन्ने की बेहतर खेती करने के लिए किसानों को दिशा एवं दशा में परिवर्तन लाना होगा. किसानों को छोटा वैज्ञानिक बनना होगा. बदलते मौसम के परिवेश में समय के अनुरूप ढालने पर गन्ना के उत्पादन से लागत के अनुसार 10 गुना तक मुनाफा अर्जन किया जा सकता है. रोग प्रतिरोधक प्रभेदों का चयन करने पर लक्ष्य के अनुसार उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. कोई भी प्रशिक्षण बेहतर कृषि का मुख्य जरिया होता है. उन्होंने गन्ना की खेती में यांत्रिकीकरण एवं ड्रिप सिंचाई प्रणाली की दिशा में प्रतिभागियों को अत्यधिक प्रेरित किया. इससे पहले आगत अतिथियों ने दीप जलाकर प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ किया. स्वागत भाषण करते हुए ईख अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा देवेंद्र सिंह ने कहा कि बिहार सरकार के ईख विभाग काफी दिनों से बिल्कुल ही सुस्त पड़ा हुआ है. हालांकि अब करीब-करीब एक्टिव मोड में आ गया है. चीनी के क्षेत्र में अस्तित्व कायम तो हुआ पर गुर के क्षेत्रों में अभी बहुत कार्य करने की आवश्यकता है. बिहार सरकार एवं चीनी मिल को वैज्ञानिकों के साथ समन्वय स्थापित करने की जरूरत है. जिससे गन्ने के उत्पादन एवं उत्पादों की दिशा में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल किया जा सके. बिहार सरकार के उप निदेशक ईख विभाग डा अरविंद कुमार ने कहा कि गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में छोटे मंझोले सभी यंत्रों पर समुचित अनुदान की व्यवस्था है. बिहार में शुगर मिल का बंद होने से गन्ना का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है. कम भूमि जोतने वाले किसान बहुत सोच समझकर खेती करते हैं1 प्रशिक्षण का विषय प्रवेश कराते हुए संस्थान के युवा वैज्ञानिक ई अनुपम अमिताभ ने कहा कि गन्ने के मूल्य संवर्धित उत्पादों पर प्रशिक्षण में विशेष रूप से फोकस करने की जरूरत है. गन्ने की सभी पार्ट्स किसानों के लिए बहुउपयोगी होता है. संचालन वैज्ञानिक डा सुनीता कुमारी मीना ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डा एसएन सिंह ने किया. मौके पर जिला गन्ना विभाग से हरेराम प्रसाद, डा डीएन कामत, डा मो. मिनूतुल्लाह, डा नवनीत कुमार, डा ललिता राणा, डा बलवंत कुमार आदि मौजूद थे.

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