समस्तीपुर : 05 मई के बाद मौसम में परिवर्तन होने से हल्की बूंदाबांदी व कुछ स्थानों पर मध्यम वर्षा की संभावना बन सकती है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने किसानों को मौसम को देखते हुए कृषि कार्य में सतर्कता बरतने की सलाह दी है. गेहूं, अरहर तथा रबी मक्का की कटनी तथा सुखाने का काम सावधानी पूर्वक करने की सलाह दी है. कटी हुई गेहूं की दौनी कर सुरक्षित स्थान पर भंडारित कर लेने को कहा है. फिलहाल खड़ी फसलों में सिंचाई मौसम को देखते हुए स्थगित रखने को कहा है. फसलों की सिंचाई वर्षा नहीं होने की स्थिति में करने को कहा है. कीटनाशकों का छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करनी है. हल्दी एवं अदरक की बोआई के लिए खेत की तैयारी करने की सलाह दी गयी है. खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद डालनी है. 15 मई से किसान हल्दी एवं अदरक की बोआई सकते हैं. किसान ओल के फसल की रोपाई करें. रोपाई के लिये गजेन्द्र किस्म अनुशंसित है. ओल की कटे कंद को ट्राइकोर्डमा भिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डूबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10 से 15 मिनट तक सूखने दें. उसके बाद उपचारित कन्द को लगायें ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो सके. मूंग एवं उड़द की फसल में रस चूसक कीट माहु, हरा फुदका, सफेद मक्खी व थ्रीप्स कीट की निगरानी करें. यह कीट पौधे की पत्तियों, कोमल टहनियों, फूल व अपरिपक्व फलियों से रस चूसते हैं. सफेद मक्खी पीला मोजैक रोग को फैलाने का काम करती है. थ्रीप्स कोमल कलियों व पुष्पों को बहुत क्षति पहुंचाती हैं, जिससें अक्रांत फूल खिलने से पहले झड़ जाती हैं, फलियां नहीं बन पाती है. इन कीटों का प्रकोप दिखने पर बचाव हेतु मैलाथियान 50 ईसी या डाडमेथोएट 30 ईसी का 01 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल में छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. किसान हल्दी एवं अदरक की बोआई के लिए खेत की तैयारी कर सकते हैं. खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद डालें. भिण्डी की फसल को लीफ हॉपर कीट द्वारा काफी नकुसान होता है. यह कीट दिखने में सूक्ष्म होता है. इसके नवजात एवं व्यस्क दोनों पत्तियों पर चिपककर रस चूसते हैं. अधिकता की अवस्था में पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभर जाते हैं और पत्तियां पीली तथा पौधे कमजोर हो जाते हैं, जिससे फलन प्रभावित होती है. इस कीट का प्रकोप दिखाई देने पर इमिडाक्लोपिड्र 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. भिंडी फसल में माइट कीट की निगरानी करते रहें. प्रकोप दिखाई देने पर ईथियाॅन प्रति 1.5 से 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. गरमा सब्जियों भिन्डी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू) और खीरा की फसल में निकाई- गुड़ाई करें. फल मक्खी लत्तर वाली सब्जियों नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू) और खीरा फसल को क्षति पहुंचाने वाला प्रमुख कीट है. यह घरेलू मक्खी की तरह दिखाई देने वाली भूरे रंग की होती है. मादा कीट मुलायम फलों की त्वचा के अन्दर अंडे देती है. अंडे से पिल्लू निकलकर अन्दर ही अन्दर फलों के भीतरी भाग को खाता है. जिसके कारण पूरा फल सड़कर नष्ट हो जाता है. इस कीट का प्रकोप शुरू होते ही 01 किलोग्राम छोआ, 2 लीटर मैलाथियान 50 ईसी को 1000 लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अन्तराल पर दो बार छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. फलदार वृक्षों तथा वानिकी पौधों को लगाने के लिए अनुशंसित दूरी पर 01 मीटर व्यास के 01 मीटर गहरे गड्ढे़ बनाकर छोड़ दें.
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