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किसान अदरक व हल्दी की बोआई 15 मई से करें

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने कहा कि अगले 48 घंटों तक तक वर्षा की संभावना को देखते हुए किसान किसान कृषि कार्यों में सतर्कता बरतें.

By Prabhat Khabar News Desk | May 8, 2024 11:17 PM

समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने कहा कि अगले 48 घंटों तक तक वर्षा की संभावना को देखते हुए किसान किसान कृषि कार्यों में सतर्कता बरतें. इस दौरान रबी मक्का की कटनी-दौनी नहीं करें. खड़ी फसलों में सिंचाई स्थगित रखें. किसान अदरक व हल्दी की बोआई 15 मई से करें. अदरक की मरान एवं नदिया किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है. खेत की जुताई में 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद, नेत्रजन 30 से 40 किलोग्राम, स्फूर 50 किलोग्राम पोटास, 80 से100 किलोग्राम जिंक सल्फेट 20 से 25 किलोग्राम एवं बोरेक्स 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. अदरक के लिये बीज दर 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें. बीज प्रकन्द का आकार 20-30 ग्राम रखें, जिसमें 3 से 4 स्वस्थ कलियां होनी चाहिये. रोपाई की दूरी 30 गुणा 20 सेमी रखें. अच्छी उपज के लिये रीडोमिल दवा के 0.2 प्रतिशत घोल से उपचारित बीज की बोआई करें. हल्दी की बोआई किसान 15 मई से करें. हल्दी की राजेन्द्र सोनिया, राजेन्द्र सोनाली किस्में उत्तर बिहार के लिये अनुशंसित है. खेत की जुताई में 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद, नेत्रजन 60 से 75 किलोग्राम, स्फूर 50 से 60 किलोग्राम, पोटास 100 से 120 किलोग्राम एवं जिंक सल्फेट 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. हल्दी के लिये बीज दर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें. बीज प्रकन्द का आकार 30-35 ग्राम जिसमें 4 से 5 स्वस्थ्य कलियां होनी चाहिये. रोपाई की दूररी 30 गुणा 20 सेमी तथा गहराई 5 से 6 सेमी रखें. अच्छी उपज के लिये 2.5 ग्राम डाईथेन एम-45 व 0.1 प्रतिशत कारबेन्डाजीम प्रति किलोग्राम बीज की दर से घोल बनाकर उसमें आधा घंटे तक उपचारित करने के बाद बोआई करें. खरीफ मक्का की बोआई के लिये खेत की तैयारी करें. खेत की जुताई में 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टयेर की दर से व्यवहार करें. खरीफ मक्का की बोआई 25 मई से करें. उड़द व मूंग की फसल में पीला मोजैक वायरस से ग्रसित पौधों को उखाड़ा कर नष्ट कर दें.यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. इसके शुरुवाती लक्षण पत्तियों पर पीले धब्बे के रूप दिखाई देते हैं. बाद में पत्तियां तथा फलियां पूर्ण रूप से पीली हो जाती है. इन पत्तियों पर उत्तक क्षय भी देखा जाता है. फलन काफी प्रभावित होता है. लत्तर वाली सब्जियों ननेअुा, करैला, लौकी (कद्दू) और खीरा में लाल भृगं कीट से बचाव के लिए डाइक्लोरफॉस 76 इसी 01 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. ओल के गजेन्द्र किस्म की रोपाई सपंन्न करें. प्रत्येक 0.5 किलोग्राम के कन्द की रोपनी के लिए दूरी 75 गुणा 75 सेमी रखें. 0.5 किलोग्राम से कम वजन की कंद की रोपाई नहीं करें. भिंडी की खड़ी फसल पर जैसीड एवं बोरर का प्रकोप होने पर नीम आधारित दवायें नीमीगोल्ड, नीमीसाइड का प्रयोग 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. खरीफ धान की नर्सरी के लिये खेत की तैयारी करें. स्वस्थ पौध के लिये नर्सरी में सड़ी हुई गोबर की खाद का व्यवहार करें. एक हेक्टयेर क्षेत्रफल में रोपाई के लिए 800 से 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बीज गिरावें. नर्सरी में क्यारी की चौराई 1.25 से 1.5 मीटर तथा लंबाई सुविधानुसार रखें. बीज की व्यवस्था प्रमाणित स्त्रोत से करें. देर से पकने वाली किस्मों की नर्सरी 25 मई से लगा सकते हैं. सभी दुधारू पशुओं को गलाघोटू एवं लंगड़ी रोग से बचाव के लिये टीकाकरण करायें. नये गेहूं के भूसा को खिलाने के पूर्व करीब 2 घंटा पानी में फुला लें एवं 50 ग्राम खनिज मिश्रण तथा 50 ग्राम नमक, चारा-दाना मिलाकर दें.

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