श्री अन्न की खेती कर लोगों को सेहतमंद बनायेंगे किसान

जी हां, लौट रहा मोटे अनाज के खेती-बाड़ी का युग. संसाधनों के अभाव में पहले वर्षा आधारित जिन फसलों की किसान मजबूरी में खेती करते थे, वैज्ञानिक युग में आज उन फसलों की खेती आवश्यक हुई है

By Prabhat Khabar News Desk | June 10, 2024 11:16 PM

विद्यापतिनगर : जी हां, लौट रहा मोटे अनाज के खेती-बाड़ी का युग. संसाधनों के अभाव में पहले वर्षा आधारित जिन फसलों की किसान मजबूरी में खेती करते थे, वैज्ञानिक युग में आज उन फसलों की खेती आवश्यक हुई है. मोटे अनाज यानी श्री अन्न लोगों के स्वास्थ्य के रक्षक माने जाने लगे हैं. अब यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉक्टरी सलाह बनी है. इन फसलों की खेती पचास वर्ष पूर्व किसान मजबूरी में करते थे. जब कृषि के लिए पानी की समस्या विकराल मानी जाती थी. खेतों में सिंचाई सुविधा पहुंचते व कृषि के लिए यांत्रिक बीज की उपलब्धता होते ही फिर मोटे अनाज की दैनिक जीवन में प्रासंगिकता बढ़ने लगी है. सरकार के कृषि विभाग भी ऐसे फसलों के उत्पादन बढ़ाने में जुट गई है. इसके लिए बीज मुफ्त एवं अनुदानित मूल्य पर वितरण किये जाने लगे हैं. किसान ऐसे खरीफ फसल की तैयारी में जुटे हैं. श्री अन्न की खेती में मक्का, बाजरा, मरुआ व कोदो शामिल हैं.

क्लस्टर में होगी श्री अन्न की खेती

श्री अन्न की खेती क्लस्टर में होगी. प्रखंड में मक्का की खेती प्रत्यक्षण का टारगेट तीन क्लस्टर में है. वहीं अनुदानित मक्के की खेती का लक्ष्य दस क्लस्टर का है. यानी इसकी खेती 250 एकड़ में की जानी है.

लक्ष्य किया गया निर्धारित

मरुआ 25 एकड़ में तो बाजरा व कोदो की खेती 50 एकड़ में होने का लक्ष्य है. इस बार अच्छे बरसानुपात को लेकर धान की खेती का भी ऊंचा लक्ष्य रखा गया है. इसमें मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत प्रखंड के तीस राजस्व ग्राम में तीन सौ साठ क्विंटल मुफ्त बीज के लिए किसानों का चयन किया गया है. वहीं एक सौ एक क्विंटल अनुदानित धान का बीज का वितरण किया जाना है. यह फिलवक्त 50 क्विंटल उपलब्ध है. यह सबौर सम्पन्न किस्म का बीज है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version