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निगरानी की जांच सुस्त, 3545 शिक्षकों का नहीं मिला फोल्डर

जिले में कितने फर्जी शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं? इसकी अपडेट जानकारी शिक्षा विभाग के पास नहीं है. जिला नियोजित शिक्षकों की बहाली में जो फर्जीवाड़ा हुआ है, वो गुत्थी अभी तक निगरानी विभाग नहीं सुलझा सका.

समस्तीपुर : जिले में कितने फर्जी शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं? इसकी अपडेट जानकारी शिक्षा विभाग के पास नहीं है. जिला नियोजित शिक्षकों की बहाली में जो फर्जीवाड़ा हुआ है, वो गुत्थी अभी तक निगरानी विभाग नहीं सुलझा सका. 11,454 नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच होनी है. अब तक करीब 3545 शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिल पाया है. ऐसे में फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने में निगरानी विभाग के पसीने छूट रहे हैं. जांच के क्रम में वर्ष 2014 में मामला सामने आया था कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से शिक्षक बहाल हो गये हैं. जांच का निर्णय लिया गया. सुस्त रफ्तार के बाद हाईकोर्ट में मामला पहुंचा. दलील दी गई कि वर्ष 2006 से नियोजित होने वाले शिक्षकों में से 40 हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को सौंप दिया. निगरानी विभाग को जिलों में जांच अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिये गये. जांच की प्रक्रिया बढ़ी तो गड़बड़ी सामने आयी. लेकिन निगरानी की रफ्तार को देख ऐसा लग रहा है कि निगरानी विभाग को विभिन्न विश्वविद्यालय, बोर्ड सपोर्ट नहीं कर रहे. जांच के लिए निगरानी ने जो राज्य के बाहर विभिन्न विवि व बोर्ड को प्रमाण पत्र भेजे है उस पर जांच प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त होने वाले करीब 120 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है. जांच की गति धीमी होने के बाद से स्थिति बदली हुई है. गड़बड़ी कर फर्जी प्रमाण पत्र देकर नियुक्त होने वाले शिक्षकों पर तो कार्रवाई की जा रही है. ऐसे शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया गया. लेकिन, 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए फर्जी शिक्षकों द्वारा पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा? उन्हें किस प्रकार की शिक्षा इन शिक्षकों के माध्यम से मिली होगी, इसका सहज अंदाजा लगा सकते हैं. इन फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति करने वालों की पहचान कर पाने में अब तक सरकार सफल नहीं हो सकी है. बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ के इन दोषियों को भी सजा दिलाने की व्यवस्था करनी होगी. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारी भी कुछ बोलने से कतराते हैं. सक्षमता परीक्षा देकर राज्यकर्मी बनने का दांव फर्जी नियोजित शिक्षकों के लिए उल्टा पड़ गया है. परीक्षा देने से जिले के 29 नियोजित शिक्षक विभाग के रडार पर आ गए हैं. इन शिक्षकों के एसटीईटी, बीटीईटी और सीटीईटी सर्टिफिकेट पर ही दूसरे लोग राज्य के दूसरे जिले में नौकरी कर रहे है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा इसको लेकर जांच शुरू कर दी गई है.

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