Loading election data...

पारिवारिक मूल्यों, संस्कारों से उपजते हैं लोक गीत गायिका पद्म श्री शारदा सिन्हा

लोक संगीत की विरासत को सहेजेने, संवारने और उसको नया आयाम देने वाली प्रसिद्ध लोक गीत गायिका पद्म श्री शारदा सिन्हा ने अपनी विशिष्ट गायन शैली से संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 6, 2024 10:55 PM

शहर के एकमात्र महिला कॉलेज में उन्होंने संगीत की शिक्षिका के रूप में 1 जनवरी 1979 में योगदान दिया और 31 अक्टूबर 2017 को सेवानिवृत्त हुई

समस्तीपुर: लोक संगीत की विरासत को सहेजेने, संवारने और उसको नया आयाम देने वाली प्रसिद्ध लोक गीत गायिका पद्म श्री शारदा सिन्हा ने अपनी विशिष्ट गायन शैली से संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया है. भोजपुरी, अवधी के परंपरागत लोक गीतों में नये प्रयोग और शास्त्रीय संगीत के साथ उनका संयोजन कर प्रस्तुति देने का उनका अपना अलहदा अंदाज रहा है. शहर के एकमात्र महिला कॉलेज में उन्होंने संगीत की शिक्षिका के रूप में 1 जनवरी 1979 में योगदान दिया और 31 अक्टूबर 2017 को सेवानिवृत्त हुई. महिला कॉलेज की सेवानिवृत्त प्रो. निर्मला ठाकुर बताती है कि शारदा सिन्हा एक लोकप्रिय भारतीय लोक और शास्त्रीय गायिका हैं, जिनका नाम बिहार की संस्कृति और आकर्षण से बहुत जुड़ा हुआ है. उन्होंने अपना जीवन पारंपरिक मैथिली और भोजपुरी गीतों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया है. निर्मला बताती है कि जब उनसे पूछा गया कि शास्त्रीय संगीत और दूसरे संगीत में क्या फर्क है? तो उन्होंने सरल भाषा में उत्तर दिया कि योग शास्त्र में कहा जाता है, नाद ब्रह्म; यानी ध्वनि ही ईश्वर है ध्वनि की इसी समझ से जन्म हुआ है भारतीय शास्त्रीय संगीत का. पारिवारिक मूल्यों, संस्कारों से उपजते हैं ऐसे लोक गीत गायिका. इसी काॅलेज की सेवानिवृत्त प्रो. कल्याणी सिंह ने गुजरे वक्त को याद करते हुए कहा कि पान की शौकीन थी. लाल लाल होठ इसका इस्तेहार भी करते दिख जाते. शारदा जी कहती थी कि पान महज होठों को लाल करने वाला या नशे की हुड़क मिटाने वाली कोई खुराक नहीं है. ये तो एक तहजीब है. अंदाज है. दूसरों के प्रति सम्मान दिखाने वाला हमेशा तैयार एक भेंट है.

गुजरे लम्हों को किया याद

महिला कॉलेज की ही सेवानिवृत्त प्रो. बिंदा कुमारी कहती है कि शारदा सिन्हा की आवाज बिहार की भावना को दर्शाती है और सभी उम्र के लोगों को प्रेरित करती है. जैसे-जैसे वह अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों पर काबू पाती हैं, उनका संगीत और विरासत हमें हमेशा हमारी सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने और उसे संरक्षित करने के महत्व की याद दिलाती रहेगी. शारदा सिन्हा सिर्फ एक गायिका नहीं हैं, वह बिहार की समृद्ध संगीत परंपरा के दिल और आत्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं. गुजरे हुए पल को याद करते हुए सेवानिवृत्त प्रो. उषा चौधरी बताती है कि शारदा को अगर उनके ससुर साथ ना देते तो वो शायद ही संगीत की दुनिया में इतनी लोकप्रिय हो पातीं. शारदा सिन्हा अक्सर कहा करती थीं कि अगर किसी को भोजपुरी सीखना है तो उसका सबसे आसान रास्ता भोजपुरी में बात करना है. भोजपुरी गाना की चर्चा के दौरान शारदा का कहना है कि भोजपुरी में जो नई पीढ़ी के गायक आ रहे हैं, उन सभी में बेहतरीन क्षमता है. उन सभी को अपनी इस क्षमता को रचनात्मक दिशा में लगाने की जरूरत है. अगर वह बढ़िया और साफ सुथरा गाना गाएंगे तो उनकी बेहतर पहचान बन सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version