लालच, डर व हनी ट्रैप हैं 3 कमजोरियां, इन्हें कंट्रोल कर साइबर क्राइम से बचें
‘साइबर अपराध के खिलाफ प्रभात खबर का जन आंदोलन’ अभियान की शुरुआत गुरुवार को शहर के पंजाबी काॅलोनी स्थित साधना देवी विद्यापीठ में हुयी.
– जागरूकता साइबर अपराध से बचने का सबसे बड़ा हथियार
– इंटरनेट सुविधाओं के प्रति जीरो ट्रस्ट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए
प्रकाश कुमार, समस्तीपुर : ‘साइबर अपराध के खिलाफ प्रभात खबर का जन आंदोलन’ अभियान की शुरुआत गुरुवार को शहर के पंजाबी काॅलोनी स्थित साधना देवी विद्यापीठ में हुयी. इसका शुभारंभ एलआईसी के डीओ जितेन्द्र नारायण, उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगुनियां सूर्यकण्ठ के एचएम सौरभ कुमार व साधना देवी विद्यापीठ की प्राचार्या कविता रानी ने संयुक्त रूप से किया. विषय प्रवेश कराते हुए प्रभात खबर के प्रकाश कुमार ने कहा कि साइबर ठग आजकल कई अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं, जिससे बच पाना मुश्किल लगता है. नकली पुलिस वाले बनकर ठगी कर रहे हैं. कोरियर कंपनी की तरफ से फोन करते हैं कि आपके पैकेट में ड्रग्स मिला है. गिरफ्तार न करने को लेकर लाखों रुपए की डिमांड की जाती है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) बहुत ही खतरनाक रोल प्ले कर रहा है. फेक विडियोज बना धोखाधड़ी की जा रही है. साइबर अपराध से बचने का सबसे बड़ा हथियार जागरूकता है. इंटरनेट सुविधाओं के प्रति जीरो ट्रस्ट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. लालच, डर और हनी ट्रैप तीन कमजोरियां हैं, इसे कंट्रोल कर लें तो कभी साइबर क्राइम के शिकार नहीं होंगे.
अनजान वीडियो कॉल उठाने से बचें
डीइओ जितेन्द्र नारायण ने कहा कि किसी अनजान नंबर से वीडियो कॉल रिसीव न करें. गिफ्ट, सस्ते सामान, पैसे डबल करने जैसे लालच से बचें. सोशल साइट्स में प्रत्येक पासवर्ड अलग रखें. जन्मतिथि, बच्चों के नाम और फोन नंबर से पासवर्ड न बनायें. किसी अंजान लिंक पर क्लिक न करें. हैकर्स ओटीपी, डाटा, एसएमएस चुरा लेते हैं. गलत एप डाउनलोड न करें. मोबाइल गैलरी में पैन कार्ड की फोटो जैसे संवेदनशील दस्तावेजों को स्टोर करने के लिए सुरक्षित उपाय डिजीलॉकर का उपयोग करें. अतिरिक्त सुरक्षा के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें. श्री नारायण ने कहा कि मोबाइल बैंकिंग एप्स के माध्यम से अपने कार्डों को सक्रिय और निष्क्रिय करके सुरक्षा बढ़ाएं. कार्ड स्विच ऑन स्विच ऑफ की सुविधा अपनायें. युवा हो या बड़े अगर कोई भी कभी साइबर क्राइम का शिकार बन जाता है तो डरने की बजाय 1930 और वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर संपर्क करें. संदिग्ध लिंक की जांच करने के लिए virustotal.com का उपयोग कर सकते हैं.साइबर ठगी बड़ी चुनौती
एचएम सौरभ कुमार ने बताया कि लालच, डर और तकनीकी ज्ञान का अभाव, ये तीन चीजें साइबर ठगों के लिए बड़ी काम की साबित हो रही हैं. इसी के चलते हर साल जिले के सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपए आसानी से ठगे जा रहे हैं. साइबर ठगी वर्तमान में बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है. रोज कोई न कोई ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहा है. लोग मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट का बेतहाशा इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन तकनीकी पहलुओं की पूरी जानकारी नहीं रख रहे. दूसरी ओर कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की लालच में तरह-तरह के झांसे में आ रहे हैं. कानूनी प्रावधानों की सही जानकारी न होने से भी लोग भयभीत होकर साइबर ठगों के मकड़ जाल में फंस रहे हैं.
सावधान….लालच के लोभ में खाते न खाली कर दे साइबर ठग
प्राचार्य कविता रानी ने कहा कि साइबर अपराध का जाल फैलता जा रहा है. पुलिस डाल-डाल है तो साइबर ठग पात-पात हैं. नित नए तरीके निकालकर न केवल भोले-भाले लोगों को बल्कि उच्च शिक्षितों, सेवानिवृत्त सैनिकों, बैंक अधिकारियों तक को झांसे में लेकर उनके खाते खाली कर रहे हैं. भारत इंटरनेट का तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और हाल के वर्षों में साइबर अपराध कई गुना बढ़ गये हैं. साइबर अपराध दुनिया में खतरनाक रूप से प्रचलित हो गया है, जहां अधिकांश लेन-देन डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग करके ऑनलाइन किये जाते हैं. वर्तमान साइबर अपराध प्रवृत्तियों के आधार पर, 2026 तक दुनिया भर में ऐसे हमलों की लागत 20 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो सकती है.
छात्रों ने किये कई सवाल
विशेषज्ञों ने डिजिटल अरेस्ट, फेसबुक हैक, न्यूड वीडियो, ऑनलाइन प्राेपर्टी या किराये पर घर देने के विज्ञापन के नाम पर ठगी होती है. इसके अलावा अब मेट्रिमोनियल एप, ग्रीनडर एप, डेटिंग एप, ट्रेडिंग या फिर बिजली व अन्य बिल जमा करने में हेराफेरी हैकर्स कर रहे हैं. ऐसे तमाम बिन्दुओं पर विशेषज्ञों ने छात्र छात्राओं की जिज्ञासा शांत की. इस दौरान विशेषज्ञों ने कई सवालों के जवाब भी दिये.
1. डिजिटल अरेस्ट:
पुलिस, ट्राई, डीओटी, सीबीआई, क्राइम ब्रांच आदि के अधिकारी बन कॉल करते हैं. व्यक्ति मोबाइल नंबर, आधार नंबर के दुरुपयोग करने पर अपराध दर्ज होने की जानकारी देते हैं. वीडियो कॉल करके पूछताछ और डिजिटल गिरफ्तारी बताते हैं. बचने के लिए पैसे मांगते हैं.बचाव:
पुलिस, क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ट्राई आदि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है. इसलिए इस पर भरोसा न करें. अनजान नंबर से आई वीडियो कॉल रिसीव न करें. ऐसी स्थिति आए, तो वीडियो कॉल काटकर अपने रिश्तेदार और दोस्तों को बताएं.2. सेक्सटॉर्शन:
अनजान नंबर से युवती बनकर वॉट्सऐप चैटिंग करते हैं. वीडियो कॉल करते हैं. वीडियो कॉल उठाने पर स्क्रीन रिकॉर्डिंग से आपके चेहरे का फोटो ले लेते हैं. उसके बाद अश्लील वीडियो में लगाकर क्लीपिंग बनाते हैं. इस अश्लील वीडियो क्लीपिंग को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर पैसे मांगते हैं.बचाव:
अनजान नंबर से वीडियो कॉल रिसीव न करें. अगर धोखे से ऐसी क्लीपिंग बन जाए, तो सोशल मीडिया पर दोस्तों के लिए चेतावनी वाला मैसेज भेजें, घबराएं नहीं. पैसा नहीं दें, पुलिस को सूचित करें.3. डिजिटल शादी कार्ड:
डिजिटल शादी कार्ड, शुभकामना मैसेज का लिंक भेजकर मोबाइल फोन हैक कर लेते हैं. इससे उन्हें आपके मोबाइल का पूरा एक्सेस मिल जाता है. फिर ऑनलाइन खरीदी बिक्री करने पर यूपीआई, फोनपे आदि की डिटेल उन्हें आसानी से मिल जाती है. फिर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.बचाव:
शादी का कार्ड भेजने वाला आपके पहचान का है या नहीं? यह सुनिश्चित कर लें. अनजान लोगों के डिजिटल कार्ड, शुभकामना मैसेज वाले लिंक ओपन न करें.4.ऑनलाइन जॉब:
ऑनलाइन घर बैठे जॉब से भारी पैसा कमाने का लालच दिया जाता है. पहले गूगल रिव्यू, यूट्यूब सब्सक्राइब आदि का टास्क देते हैं. उसका पैसा देते हैं. इसके बाद धीरे से पैसा जमा करने पर ज्यादा रिटर्न का टास्क देकर भारी पैसा जमा कराते हैं, फिर नहीं लौटाते.बचाव:
बड़ी प्रतिष्ठित कंपनियों के अलावा घर बैठे ऑनलाइन आसान जॉब से कोई पैसा नहीं देता हैं. पैसा जमा करने के लिए कहते ही अलर्ट हो जाएं कि यह कोई फ्रॉड है. पैसा ट्रांसफर नहीं करें.5. इंस्टेंट लोन:
ऑनलाइन या इंस्टेंट लोन देने के नाम पर ठगी करते हैं. लोन के एवज में प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी आदि अन्य शुल्क के नाम पर पैसा लेते हैं. धीरे-धीरे बड़ी राशि लेने के बाद उसे लौटाने के नाम पर पैसा मांगते हैं. लोन ऐप भी डाउनलोड कराते हैं.बचाव:
बैंक जाकर या बैंक के अधिकृत ऐप के जरिए लोन लें. बैंकों के मिलते-जुलते नाम वाली वेबसाइटों में किसी तरह की जानकारी न दें. लेन-देन न करें.6. केबीसी लॉटरी:
वॉट्सऐप मैसेज भेजकर केबीसी में राशि जीतने या लॉटरी लगने की जानकारी देते हैं. फिर उसमें दिए गए मोबाइल नंबरों पर कॉल करने कहते हैं. इसकी राशि को लेने के लिए टैक्स के नाम पर पैसों की मांग करते हैं. कई तरीकों से लाखों रुपए जमा करवा लेते हैं.बचाव:
वॉइस मैसेज रिकॉर्डेड होते हैं. उनमें दिए गए नंबरों पर कॉल न करें. केबीसी की ओर से ऐसे मैसेज नहीं किए जाते हैं. लॉटरी खरीदे बिना इनाम नहीं मिलता है.7. बच्चों की गिरफ्तारी:
साइबर ठग पुलिस अधिकारी बनकर कॉल करते हैं. बेटा-बेटी को किसी आपराधिक मामले में अरेस्ट करने की जानकारी देते हैं. फिर उन्हें छोड़ने के लिए पैसों की मांग करते हैं. जिनके बच्चे बाहर रहते हैं, उन्हें ज्यादा टारगेट करते है.बचाव:
ऐसी सूचना मिलने पर सबसे पहले अपने बेटे-बेटी को कॉल करें. बातचीत करके यह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटना हुई है या नहीं? इसके अलावा बच्चे जहां रहते हैं वहां के लोगों से बातचीत कर हकीकत जानें. पैसे किसी को ना दें. स्थानीय पुलिस को सूचित करें.8. शेयर ट्रेडिंग:
अनजान वॉट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ते हैं. उसमें ग्रुप के मेंबर इन्वेस्टमेंट करने से भारी मुनाफा होने जैसे मैसेज करते रहते हैं. इसमें निवेश की इच्छा जताने पर अलग से ग्रुप में जोड़ते हैं. मोबाइल ऐप डाउनलोड करवाते हैं. पैसा निवेश कराते हैं. वर्चुअल अकाउंट में मुनाफा दिखाते हैं, लेकिन निकालने के लिए और पैसों की मांग करते हैं.बचाव:
ज्यादा मुनाफा कमाने का लालच ना करें. सेबी से अधिकृत कंपनी या ऑथराइज्ड ब्रोकर के माध्यम से ही पैसा लगाएं. सोशल मीडिया से आने वाली शेयर मार्केट संबंधित जानकारी पर ज्यादा भरोसा ना करें.9. सरकारी योजनाएं:
अक्सर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर फोन करते हैं. पूरी जानकारी लेते हैं. आधार कार्ड नंबर, बैंक खाता नंबर आदि की जानकारी लेकर बैंक खातों से रकम पार कर देते हैं. कई बार संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बनकर फोन करते हैं.बचाव:
सरकारी योजनाओं से संबंधित विभाग में जाकर ही जानकारी दें. अधिकृत च्वाइस सेंटरों की मदद से आवेदन या जानकारी अपडेट करें. आधार और बैंक खाता संबंधित जानकारी न दें.10. ऑफर बीमा पॉलिसी:
ऑनलाइन खरीदी में भारी ऑफर या इनाम देने के नाम पर साइबर ठग कॉल करते हैं. इस दौरान बैंक डिटेल लेकर खाते से रकम पार कर देते हैं. इसी तरह बंद बीमा पॉलिसी को दोबारा चालू करने के नाम कॉल करके हैं. रकम जमा करने के लिए कहते हैं.बचाव:
किसी प्रतियोगिता में भाग लिए बिना इनाम कैसे मिल सकता है? यह जरूर सोचें. बंद पड़ी बीमा पॉलिसी के लिए इंश्योरेंस के स्थानीय कार्यालय जाकर संपर्क करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है