Bihar News: राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर के एचओडी और अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर डॉ. एस.के. सिंह ने कहा है कि बिहार के न्यूनतम तापमान में हो रही वृद्धि रबी की फसलों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि फरवरी महीने में ही मौसम के बदलते तेवर और न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से किसान चिंतित हैं. इससे दलहनी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. किसानों का कहना है कि देर से बुआई की गई चना और मसूर के पौधों में अभी फूल और फली (दाना) लग रहे हैं. अनुकूल तापमान न रहने के कारण इन पौधों से फूल झड़ जा रहे हैं. इतना ही नहीं, मिट्टी से नमी गायब होने के कारण समय से पहले गेहूं की सिंचाई करनी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा तो उपज प्रभावित होना निश्चित है, जिससे किसानों का बड़ा नुकसान हो जाएगा.
फरवरी में कितना रहना चाहिए न्यूनतम तापमान
वैज्ञानिकों के मुताबिक कम से कम 15 फरवरी तक न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए था, लेकिन प्रदेश का न्यूनतम तापमान 12 से 13 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है. न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा प्रभाव गेहूं, सरसों, मसूर, चना, आम और लीची की फसल पर होगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक रबी की फसलों के लिए ठंड रहने और आसमान से ओस गिरते रहना जरूरी रहता है. लेकिन हालिया दिनों में उम्मीद से अधिक तापमान रह रहा है. चना और मसूर में लगे दाने का विकास नहीं हो रहा है. फूल झड़ रहे हैं. पौधों में फली लगने की संख्या भी लगातार घट रही है. पछुआ हवा के कारण भी फसल पर बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है.
बिहार की ताजा खबरों के लिए क्लिक करें
किन फसलों के उपज में आ सकती है कमी
प्रोफेसर डॉ. एस.के. सिंह का कहना है कि हालिया मौसम को देखते हुए तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. न्यूनतम तापमान में वृद्धि से आम और लीची प्रभावित होगी जबकि गेहूं के दाने पुष्ट नहीं हो पाएंगे, जिससे उपज में गिरावट आ जाएगी. उन्होंने कहा कि किसान इस समय अपनी फसलों के जड़ों के पास नमी बनाए रखें.
इसे भी पढ़ें: बिना सूचना दिए शिक्षकों को यह काम करने भारी, खतरे में 31 की नौकरी, मचा हड़कंप