भूमि को भावी पीढी के लिए सुरक्षित रखना जरूरी

पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पंचतंत्र सभागार में जैविक खाद उत्पादन तकनीक के विषय पर आधारित किसानों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार को हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | April 16, 2024 11:01 PM

पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पंचतंत्र सभागार में जैविक खाद उत्पादन तकनीक के विषय पर आधारित किसानों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार को हुई. उद्घाटन विवि के शस्य विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र सिंह व अन्य अतिथियों ने दीप जलाकर कर किया. इस अवसर पर उपस्थित डॉ सिंह ने कहा कि समय का चक्र परिवर्तनशील है. हरित क्रांति के दौर में रासायनिक खाद की उपयोगिता बहुत ही ज्यादा बढ़ गई थी. जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि फसलों में नाइट्रोजन डालने पर आने वाले महज तीन दिनों में ही फसल बिलकुल हरे-भरे हो जाते हैं. बिहार के भूमि में भरपूर मात्रा में जीवांश पाये जाते हैं. उन्होंने कहा कि धान उत्पादन के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति आयी है. उन्होंने कहा मिट्टी के जीवांश को बचाते हुए भविष्य में भूमि को आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित व सुरक्षित रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कंपोजिट प्रतिक्रिया के करण ही लोगों का स्वास्थ्य ज्यादातर खराब हो रहा है. जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों को अपने सोच में परिवर्तन लाने की जरूरत है. ज्यादा से ज्यादा किसान वैज्ञानिक के तकनीकों को अपनाकर बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त करते हुए अपने आप को खेती में सफल बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि जैविक खाद के दौर में किसान हरे ढैंचा को मिट्टी में पलटकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं. मिट्टी में साल दर साल हरे भरे ढैंचा को काटकर मिला देने से मिट्टी में संपूर्ण पोषक तत्व जमा हो जाता है. उन्होंने कहा कि जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी का लाभदायक कीट जो मित्र कीट कहलाता है वह बढ़ता है. जैविक खाद से ही अलग-अलग तरीके से वर्मी कंपोस्ट का निर्माण कर बेहतर लाभ लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जैविक खेती को जिंदा रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा पर शिक्षकों से कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अर्जित ज्ञान को जमीनी स्तर पर उतारे और लोगों से साझा करें. उपस्थित निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एमएस कुंडू ने कहा कि धरती पर अगर पशु नहीं होंगे, तो खेती असंभव हो जायेगी. समाज को प्रदूषणमुक्त बनाने में पशुओं का अहम योगदान हैं. मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. अनुपमा कुमारी ने कहा स्पंज की तरह जैविक खाद पानी सोखने का काम करता है. जैविक खाद मिट्टी में अधिक से अधिक कार्बन उत्पन्न करता है. उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक खेती के महत्व को जानने व समझने की आवश्यकता है. मौके पर ऋतेश कुमार सहित प्रशिक्षु उपस्थित थे.

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