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जननायक राजनीति के सहारे नहीं थे, राजनीति उनके सहारे थी : हरिवंश

राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश ने कहा कि उस गांव की मिट्टी को नमन जहां कर्पूरी जी जैसे महान भारत रत्न पैदा हुये.

समस्तीपुर : राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश ने कहा कि उस गांव की मिट्टी को नमन जहां कर्पूरी जी जैसे महान भारत रत्न पैदा हुये. प्रेरक स्मृतियों को प्रणाम. वे यहां भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्हाेंने जॉन नारवेल की उक्ति की चर्चा करते हुये कहा कि जो अतीत को प्रभावित करते हैं, वहीं भविष्य पर असर डालेंगे. आज इस सभा में यह स्पष्ट देखने को मिल रहा है. कुछ लोग अपने जीवन और कर्म से बड़ी छाप तो छोड़ते ही, मर जाने के बाद भी उनका व्यक्तित्व,योगदान उनका जीवन जब समाज समझता तो बहुत प्रेरक बनता है. यही जननायक के साथ भी हुआ. आने वाले समय में जननायक के जीवन की कौन की प्रेरक चीजें देश, दुनिया व समाज के लिये प्रेरणा के स्त्रोत होंगे. उनके जीवन से हमें सीखना चाहिये. खासकर उन लोगों को जो समाज के काम लगे हुये. उन्होंने कहा कि उनके व्यक्ति के बारे में संक्षेप में कहूं तो उनके जीवन में गांधी की सादगी,विनम्रता, जेपी की करुणा, संवेदनशीलता, राजनीतिक सुझबुझ, लोहिया का समता दर्शन, भारतीय भेष भूषा की झलक थी. वे गृहस्थ संन्यासी थे. ईमानदारी और वैचारिक प्रतिबद्धता उनमें थी. वे अध्यापक रहे और आजीवन अध्येता बने रहे. वे बहुत अधिक पढ़ाकु थे. मरने के समय उनके पास कोई पासबुक नहीं था. उनके पास कोई मोटर गाड़ी नहीं थी, जिसे वे अपना कहते. बस वही एक झोपड़ी थी. उनके नहीं रहने के बाद भी उनकी छाप दिख रही है. सामाजिक आर्थिक न्याय, जाति विहीन समाज के प्रति उनका संघर्ष समर्पित रहा. वे राजनीति के सहारे नहीं थे, राजनीति उनके सहारे थी. एक बार डिप्टी सीएम रहे, दो बार सीएम रहे. मरने के 36 वर्ष बाद उन्हें भारत रत्न दिया गया. उन्होंने अपनी कलम से भी बदलाव की नयी लकीर खींची. सात हजार इंजीनियर को गांधी मैदान में बुलाकर नियुक्ति पत्र बांटने का काम किया. 2014 के पहले की सरकार ने जननायक को कोई सम्मान नहीं दिया. कर्पूरी ठाकुर के बताये रास्ते पर चलने वाले समाजवादी नेता की अंतिम कड़ी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. जो सबको साथ लेकर सबके विकास की दिशा में काम कर रहे हैं. इतने लंबे राजनीतिक जीवन के बाद भी पूरी तरह बेदाग हैं.

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