रोसड़ा : स्थानीय महादेव मठ स्थित एसकेआरएमएन महिला कॉलेज मैदान में दो दिवसीय 48 वां आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव का शुभारंभ किया गया. संबोधित करते हुए उद्घाटनकर्ता यूआर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ घनश्याम राय ने कहा कि वचनवंश के सातवें आचार्य राम जीवन साहब अपने जीवन को खासकर नारी शिक्षा को समर्पित किया. यह रोसड़ा के लिए गर्व की बात है. कबीर साहब 15वीं सदी के रहस्यवादी कवि थे. वे अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा, पाखंड के विरोधी थे. कबीर ने भारतीय समाज में जाति और धर्म के बंधनों को गिराने का काम किया. उनके अनुसार सभी मनुष्य एक हैं. और ईश्वर सब में समान रूप से विद्यमान हैं. कबीर समतामूलक समाज के बहुत बड़े पैरोकार थे. कबीर ने समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. मुख्य अतिथि डॉ विनय कुमार ने कहा कि वर्तमान महंत विद्यानंद शास्त्री के द्वारा अपने गुरु आचार्य रामजीवन साहब का निर्वाण महोत्सव में हजारों की संख्या में श्रद्धालु का आगमन कौतूहल का विषय है. बनारस में गंगा और रोसड़ा में पवित्र गंडक के तट पर संत समागम अद्वितीय है. रोसड़ा में बनारस के तर्ज पर पर्यटन क्षेत्र में विकसित करना वर्तमान समय की आवश्यकता है. विशिष्ट अतिथि महंत रामदास साहब ने कबीर दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में विश्व शांति के लिए कबीर का दर्शन प्रासंगिक है. कहा कि करविहिया बल आपनी, छोड़ विरानी आस, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, की भावना मानव जीवन में नितांत आवश्यक है. कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि डॉ देवनारायण यादव, रामदेव साहब, संयोजक आचार्य महंत डॉ विद्यानंद शास्त्री, सह संयोजक आचार्य स्वरूपानंद साहब, सुरेश दास साहेब आदि ने संबोधित किया. इस अवसर पर भजनोंपदेशिका दीपशिखा, हीरा दासीन, रामदेव साहेब, रामस्वरूप साहेब एवं मालिक यादव आदि ने कबीर के भजनों का सुमधुर गीत प्रस्तुत किया. अध्यक्षता जयंतीपुर दरभंगा से आये आचार्य राम साहब ने की. संचालन पुरुषोत्तम कुमार एवं रतन बिहारी ने किया. इस मौके पर काफी संख्या में लोगों ने कार्यक्रम में पहुंचकर संत कबीर के विचारों को आत्मसात किया.
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