Lal Krishna Advani: भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी (97) की अचानक एक बार फिर तबीयत बिगड़ गई है. उन्हें देर रात इलाज के लिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है. लालकृष्ण आडवाणी की पिछले कुछ दिनों से तबीयत खराब चल रही थी. बीते चार से पांच महीनों के भीतर लालकृष्ण आडवाणी चौथी बार अस्पताल में भर्ती हुए हैं. इससे पहले उन्हें अगस्त के महीने में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसी साल आडवाणी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के चलते वे राष्ट्रपति भवन के आयोजन में नहीं पहुंच सके. उन्हें आवास पर ही भारत रत्न दिया गया था. आज हम आपसे 90 के दशक का एक किस्सा साझा करने जा रहे हैं जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे और बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी राम मंदिर के लिए आंदोलन कर रहे थे.
समस्तीपुर में 23 अक्टूबर को होनी थी लालकृष्ण आडवाणी की सभा
लगभग 500 वर्षों के इंतजार के बाद जब राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा हुआ तो करोड़ों रामभक्तों की आंखो में खुशी के आंसू थे. इस मंदिर को बनाने के लिए राम भक्तों ने किस प्रकार की यातनाएं झेली, कितनों ने जान गंवाई, कितनों ने गोली खाई सब लोग इस पर बात कर रहे थे. उन्हें नमन कर रहे थे. लेकिन देश के करोड़ों लोगों में राम मंदिर बनने की आस जगाने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी को इस काम के लिए गिरफ्तार कर लिए गया था.
बात वर्ष 1990 की है जब लालकृष्ण आडवाणी ने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के संकल्प को लेकर गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए रथ यात्रा 25 सितंबर 1990 को शुरू की थी. यह यात्रा जहां-जहां से गुजर रही थी, लाखों लोग जुट रहे थे. आडवाणी की इस रथयात्रा को जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा था.
लालकृष्ण आडवाणी इस रथ यात्रा को लेकर 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचने वाले थे. यहां से उनको कार सेवा में शामिल होना था. देश के अलग-अलग राज्यों से होते हुए यह रथ यात्रा बिहार में गया से शुरू हुई. बिहार के अलग-अलग जिले से होते हुए 22 अक्टूबर 1990 की देर शाम समस्तीपुर जिला पहुंची.
समस्तीपुर के पटेल मैदान में 23 अक्टूबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा एक जनसभा को संबोधित किया जाना था. इसको लेकर बीजेपी, आरएसएस, विद्यार्थी परिषद सहित संघ के तमाम अनुसांगिक संगठनों के द्वारा बड़े स्तर पर तैयारी की गई थी. आडवाणी की रथ यात्रा जब हाजीपुर होते हुए समस्तीपुर में कोठिया के पास पहुंची, वहीं से जय श्रीराम के नारों के साथ लगातार हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं का हुजूम स्वागत कर रहा था. हर उम्र के लोग इस रथ यात्रा के समर्थन में सड़क पर उतर गए थे. चारों ओर सिर्फ भगवा झंडा लहरा रहा था. आम लोग हर चौक-चौराहे पर पुष्प वर्षा और रथ की आरती उतार रहे थे.
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जब गिरफ्तार हुए आडवाणी
पूरे शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई थी. समस्तीपुर जिला हाई अलर्ट पर था. लालकृष्ण आडवाणी समस्तीपुर सर्किट हाउस के कमरा नंबर 7 में रुके थे. 23 अक्टूबर 1990 को रात 1.30 बजे कमरा नंबर-7 का दरवाजा नॉक होता है तब आडवाणी नींद से उठकर दरवाजा खोलते हैं. दरवाजे पर दो अधिकारी थे. आडवाणी जब तक कुछ समझ पाते तभी उनमें से एक अधिकारी बोलते हैं- आप गिरफ्तार हो गए हैं.
गिरफ्तारी की बात सुनकर आडवाणी हंसने लगे और उन्होंने कहा- विनाश काले विपरीत बुद्धि. जब उनकी गिरफ्तारी हुई उस समय देश के मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी उनके साथ थे. इसके बाद आडवाणी को दुमका के मसानजोर डैम स्थित गेस्ट हाउस ले जाया गया. इस घटना के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने समर्थन वापस लेकर केंद्र की वीपी सिंह वाली सरकार गिरा दी थी.
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